अंग्रेजों से दिल्ली को छुड़ाने के बाद बादशाह और सिपाहियों के बीच जनतांत्रिक सिद्धांतों पर गढ़ा गया था वह संविधान, जो आजादी की पहली जंग की असली भावना का गवाह बना
अपनी महत्वाकांक्षी योजनाओं के बूते गरीबों के दिलों पर सियासी फतेह का हाईवे बनाने में सफल दिख रहे प्रधानमंत्री के लिए बेरोजगारों की बढ़ती फौज और किसानों की घटती आय बड़ी चुनौती
आवश्यक सुधारों वाली नीति के साथ ही देश में सही तंत्र विकसित करना जरूरी, इससे न सिर्फ कृषि बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था में भी मजबूती आएगी, कृषि के विकास के लिए अलग-अलग तरीके अपनाने होंगे
उपनिवेशवादी साम्राज्यवाद के खिलाफ 1857 की बगावत बेमिसाल ही नहीं, एक नए भारत की महती भावना का भी इजहार थी, आज हम क्या अपने पुरखों की भावना पर खरे उतर रहे हैं?
दुनिया का दादा अब सिर्फ अमेरिका नहीं रहा, चीन का दबदबा एशिया के पार भी अपनी धमक दिखा रहा है। इस नए भू-राजनैतिक परिदृश्य में भारत के लिए क्या हैं संभावनाएं और आशंकाएं?