देश के एयरलाइन उद्योग की दिशा बदल देने वाले कैप्टन जीआर गोपीनाथ कभी बिजनेस स्कूल में नहीं गए। हालांकि 2003 में एयर डेक्कन शुरू करने से पहले वे कई वर्षों से अपनी तरह के उद्यमी रहे हैं। इस दौरान उन्होंने कई उतार-चढ़ाव भी देखे और राजनीति में भी दांव आजमाया। 65 वर्षीय गोपीनाथ बताते हैं कि उद्यम शुरू करने का तो हमेशा ही अच्छा वक्त होता है, क्योंकि मायने तो यही रखता है कि आपका बिजनेस मॉडल कैसा है। अजय सुकुमारन से उनकी बातचीत के कुछ अंश:
हम औपचारिकताएं पूरी करने में पीछे नहीं रहते। निर्भया कांड के बाद कानून में बदलाव से लेकर कई कदम उठाये गये लेकिन इनमें से कई सांकेतिक महत्व के ही बने रहे। निर्भया फंड का कहीं भी पूरा उपयोग नहीं हो सका। सांकेतिक कदम बड़ा बदलाव नहीं ला सकते हैं। बदलाव समाज के अंदर लाना होगा और सरकार को प्रभावी कदम उठाने होंगे।
छात्रों और उद्योगों के लिए चुनौतीपूर्ण साल में हम पेश कर रहे हैं देश के बिजनेस स्कूलों की सालाना रैंकिंग, दाखिला लेने वाले पहले सोचें, समझें तब लें फैसला
बेहद सक्रिय और गतिशील कॉरपोरेट माहौल की लगातार नई जरूरतों के मुताबिक नए हुनर से वाबस्ता होने की खातिर टॉप मैनेजरों में अकादमिक जगत की ओर रुख करने की शुरू हुई होड़
जिंदगी की तमाम ऊंच-नीच, हारी-बीमारी को झेलते हुए कई महिला उद्यमियों ने लिखी सफलता की नई इबारत, एमबीए डिग्रीधारियों या धन-दौलत के उत्तराधिकारियों से नहीं साबित हुईं कमतर