शुरुआत से ही चुनिंदा परिवारों के इर्द-गिर्द सिमटी रही प्रदेश की राजनीति में वारिसों के बीच उत्तराधिकार की लड़ाई से स्थापित कुनबे हुए फीके, पर सियासत में परिवारों का असर खत्म होने के आसार नहीं
चुनावी बजट में नकद हस्तांतरण योजना और आयकर में रिबेट देने का तो ऐलान पर इसकी भरपाई के लिए पूंजीगत खर्च घटाकर राजकोषीय संतुलन रखने का कोई ख्याल नहीं किया गया
देश की सबसे पुरानी पार्टी क्या अपने सबसे कमजोर क्षेत्र पूर्वी उत्तर प्रदेश में अपनी जमीन हासिल कर पाएगी? भाजपा और सपा-बसपा गठबंधन को कैसे और कितना हो सकता है नुकसान
सरकार का दावा है कि रोजगार को लेकर पर्याप्त ‘अच्छे’ आंकड़े नहीं हैं, हालिया उपलब्ध रोजगार के आंकड़ों में सभी नौकरियों को शामिल किया गया है, जबकि सरकार का दावा इसके उलट है
अर्थव्यवस्था के जो आंकड़े लोगों के सामने आएं, उन पर किसी तरह का कोई संदेह न हो इसके लिए राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग का गठन किया गया, लोगों को भरोसा हो कि आंकड़ों में किसी तरह का गैर-वाजिब राजनैतिक हस्तक्षेप नहीं हो रहा है, लेकिन शायद अभी ऐसा नहीं है
यह किताब एक गंभीर अध्ययन है जो खेती-किसानी संबंधी ज्यादातर पुराने अध्ययनों को देखने-पढ़ने के बाद कुछ उपाय सुझाता है, कुछ कमजोरियों को रेखांकित करता है और नजरिए के साथ कुछ नीतिगत बदलावों की वकालत करता है