राजीव गांधी हत्याकांड से जुड़े कई प्रश्न आज भी जिंदा हें। कई लोग भी इन सवालों के घेरे में आए। राजीव गांधी की 24वीं पुण्यतिथि इक्कीस मई से पूर्व इस हत्याकांड से जुड़े सवालों पर नजर
दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच अधिकारों को लेकर छिड़ी जंग के बीच गृह मंत्रालय ने यह साफ किया है जो भी काम होगा संविधान के मुताबिक होगा। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि दिल्ली एक केंद्रशासित प्रदेश और संविधान में जो अधिकार मिला हुआ है उसी के अनुरुप काम करना होगा।
भारतीय उपमहाद्वीप में आतंकवादी संगठन अलकायदा की शाखा के जिस आतंकवादी को आतंकवादियों के बीच एक उभरते सरगना के रूप में देखा जा रहा था, वह जनवरी में पाकिस्तान में हुए अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया था।
दिल्ली सरकार ने आज शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में हाल में दिल्ली उच्च न्यायालय से एक दशक के कारावास की सजा पाने वाले हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की एक महीने की पैरोल मंजूर की।
भूमि अधिग्रहण विधेयक पर विपक्ष के हमलों का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को विपक्षी दलों पर झूठ फैलाकर राजनीतिक फायदा उठाने का आरोप लगाया और कहा कि वह किसानों के हितों का संरक्षण करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।
शाहरुख खान, अक्षय कुमार, सिद्धार्थ मल्होत्रा जैसे कामयाब अभिनेताओं को बॉलीवुड भेजने वाले दिल्ली से एक और हीरो दस्तक देने को तैयार है और वो है अजित अहमद सोढ़ी। 6 फुट के अजित कद-काठी और अंदाज से पूरी तरह हीरो नजर आते हैं। अजित ‘जी भर के जी ले’ फिल्म में जेपी दत्ता की बेटी के साथ दिखने वाले हैं यह फिल्म मई में रिलीज होने जा रही है।
हाशिमपुरा में 42 मुसलमानों की हत्या के आरोपी पीएसी कर्मियों में से जीवित 16 लोगों को बरी किए जाने को कांग्रेस ने अन्याय बताते हुए मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार को आदेश के खिलाफ ऊपरी अदालतों में अपील करनी चाहिए।
अभिजीत रॉय के पिता ने अपना घर और मातृभूमि पूर्वी पाकिस्तान, अब बांग्लादेश, छोडक़र भारत जाने से इन्कार कर दिया था। अभिजीत के पिता ढाका विश्वविद्यालय में फिजिक्स पढ़ाते थे। खुद अभिजीत ने सिंगापुर की नेशनल युनिवर्सिटी में अध्ययन किया। पेशे से इंजीनियर अभिजीत ने एक मुस्लिम महिला रफीदा अहमद 'बॉन्या (वन्या)’ से प्रेम विवाह किया। वह पैदा तो हिंदू हुए थे लेकिन बड़े होकर नास्तिक बने।
अहमद पटेल और उनके करीबियों को यह पक्का आभास है कि पार्टी के भीतर बन रहे नए केंद्रक के मुताबिक नए तेवर अपनाना जरूरी है। राहुल गांधी के कद को बढ़ाने के लिए भी एक तरफ आम जन के मुद्दों से जुडऩा जरूरी है और दूसरी तरफ कांग्रेस के शीर्ष और निष्प्रभावी नेताओं को किनारे करने के लिए भी रणनीति बनानी जरूरी है। कांग्रेस में दोनों पहलुओं पर विचार तो खूब हो रहा है लेकिन इसका बहुत ठोस फायदा होता दिख नहीं रहा।