इस साल बजट में पिछली नीतियों को उलट दिया गया। नीतिगत अनिश्चितता का यह माहौल आर्थिक नीतियों तक ही सीमित नहीं, लगातार नीतिगत झटके जारी हैं, जिससे अर्थव्यवस्था तो उबरने से रही
हर विधा में, हर विषय पर लिख रही हैं स्त्रियां, राजनैतिक घटनाक्रमों, जीवनी, आलोचना, यात्रा संस्मरण जैसे विषयों में नई लेखिकाएं कर रहीं सार्थक हस्तक्षेप