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मैगज़ीन डिटेल

राजनयः तालिबान से खुशामदी लय-ताल

रूस तालिबान से रसूख बढ़ाने को कहता रहा, पर नई दिल्ली मुंह फेरे रही, मगर अचानक अफगानों से पेंग बढ़ाने की क्या वजह

हरियाणाः पुलिसिया व्यवस्था पर प्रश्न

दो आत्महत्याओं के बीच पुलिस को परिवारों को न्याय दिलाने, सही आरोपी तक पहुंचने के लिए लंबा रास्ता तय करना होगा

असमः शोक के बहाने शरारत

असम में अपने प्रिय गायक के निधन पर शोक मगर एक नगा छात्र की वायरल टिप्पणी ने तनाव को हवा दी

पंजाबः लोगों का साथ ही सहारा

बाढ़ के बाद खेतों, जीवन की बहाली और जलवायु संकट से निपटने की रणनीति नए सिरे से परिभाषित करने की कोशिश, लोगों और स्थानीय संगठनों की सक्रियता सराहनीय

बिहार विधानसभा चुनाव ’25/ आवरण कथाः वर्चस्व बचाने की जद्दोजहद

यह चुनाव पिछले साढ़े तीन दशकों से बिहार की सियासत की दशा और दिशा तय करने वाले दो नेताओं लालू प्रसाद और नीतीश कुमार के लिए आखिरी मुकाबले की तरह

बिहार विधानसभा चुनाव ’25/ जोड़तोड़ और रणनीतियां: वजूद की जंग में सब अकेले

मुद्दे दिशा बदलने को बेचैन और किरदार जमीन बचाने-फैलाने के लिए ‘अभी नहीं तो कभी नहीं’ जैसे तेवर में, ऐसे में तीसरा प्रशांत कोण भी निकला तो, एक मायने में सब वजूद की लड़ाई में अकेले खड़े

क्रिकेटः शुभ (मन) अध्याय

क्रिकेट अब तेज है, प्रशंसा के साथ यहां आलोचना भी तुरंत होती है, गिल की असली परीक्षा सिर्फ मैदान पर नहीं बल्कि उस संतुलन पर होगी जिसे रोहित ने साधा

फिल्मः दृढ़, शांत और अमिट रेखा

हाल में 71 साल की हुईं अभिनेत्री शायद इकलौती ऐसी कलाकार हैं, जिन्होंने सिनेमा की हर धारा चाहे मुख्यधारा की फिल्म हो या समांतर या नितांत व्यावसायिक हर तरह की भूमिका में सहजता से काम किया

सप्तरंग

ग्लैमर जगत की खबरें

आरएसएस शताब्दी वर्षः तलाश करने हैं कई सवालों के जवाब

आरएसएस सौ साल के सफर में कई मुकाम से गुजरा, आरोप झेले, उपलब्धियां दर्ज की और काफी विस्तार किया

विधि-विधान/नजरियाः जेल ही इंसाफ!

उमर खालिद की जमानत अर्जी खारिज करने के फैसले से न्यायपालिका की कार्यप्रणाली पर बहस की दरकार

बिहार विधानसभा चुनाव ’25 नजरियाः राजनीति में धर्म का घातक घोल

चुनाव जीतने के लिए धर्म को औजार बनाना देश के मूल विचार, आदर्शों और लोकतंत्र के विरुद्ध

साहित्य/नोबेल पुरस्कारः प्रतिरोध की नैतिक दृष्टि

भारतीय सामाजिक यथार्थ के दर्पण में लास्लो क्रॉस्नॉहोरकै को पढ़ना नैराश्य के रेगिस्तान में मेघों की आवाज के कंठहार जैसा

प्रथम दृष्टिः खंडित न हो जनादेश

बिहार में किसी पार्टी या गठबंधन के पक्ष या विरोध में अभी तक कोई लहर नहीं दिख रही है। इस कारण खंडित जनादेश की आशंका है

पत्र संपादक के नाम

पाठको की चिट्ठियां

शहरनामाः बरेली

बरेली के कारीगरों के हुनर की हर जगह छाप है

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