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मैगज़ीन डिटेल

झारखंड-बिहार आमने-सामने

बिहार और झारखंड पहली बार राजनीतिक मोर्चे पर टकराव के मूड में दिख रहे हैं। मुद्दा है शराबबंदी।

‘राव ने विहिप, आरएसएस और भाजपा नेताओं के साथ गोपनीय बैठकें की थीं’

बाबरी मस्जिद का ढांचा न टूटे, इसके लिए नवंबर 1992 में बैकचैनल वार्ता कर रहे थे पी.वी. नरसिंह राव

स्वामी जेटली टकराव से उपजे सियासी सवाल

कड़क शासन-प्रशासन और भीषण केंद्रीकृत रूप से चलाने के लिए ख्यात केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार इन दिनों दो शक्ति केंद्रकों में तीखे-अभद्र टकरावों से घिरी हुई है। एक तरफ हैं अरुण जेटली जैसे भाजपा के शक्तिशाली नेता जिनके कंधोंपर वित्त मंत्रालय, सूचना एवं प्रसारण जैसे अहम विभागों का जिम्मा है और जिनकी पकड़ लुटियंस दिल्ली में गहरी जमी है और दूसरी तरफ हैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पसंदीदा और गांधी परिवार पर तीखे प्रहार करने के लिए कुख्यात राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी। इस पूरे प्रसंग से मोदी सरकार में हो रही टकराहटों का भान मिलता है

टेप कांड का क्या है सच

जानकारी के बावजूद सरकार नहीं उठा रही कोई बड़ा कदम, व्यावसायिक घरानों का हित है जुड़ा

घरेलू और विदेशी रक्षा कंपनियों में होड़

रक्षा सौदे में सौ फीसद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रनवे से कौन-कौन भरेगा उड़ान, कौन-कौन ले आ सकेगा ‘आधुनिक तकनीक’

बिना सख्त नियामक एफडीआई बनेगा जंजाल

भारत का दवा क्षेत्र दुनिया में सबसे बड़ा माना जाता है, यहां विदेशी कंपनियों के प्रभुत्व से होंगे कई खतरे

डिग्री से होता बदलाव

कॉमन मेडिकल टेस्ट संभावित है, इंजीनियरिंग के लिए नंबर चाहिए। आउटलुक की प्रतिष्ठित सूची में नए नामों की भरमार है। तो देखें क्या‍ कोलाहल है

सरकारी रैंकिंग पर सवाल

प्रोफेशनल कॉलेजों की पहली ‘आधिकारिक’ रैंकिंग खराब प्लानिंग और उसके बुरे क्रियान्वयन का शिकार हो गई

यूरेका की सीख

आज इस बात की पहले से कहीं ज्यादा जरूरत है कि स्कूल इनोवेशन और मूल विचारों को बढ़ावा दें

‘कंपनियों का दायित्व है कि वे लगातार सीखने का माहौल बनाएं’

उद्यमिता, मेडिसिन, विधि, पत्रकारिता, आप किसी भी क्षेत्र को देख लें, कामयाबी के जितने रास्ते हैं, उतनी ही मिसालें। मगर उन सबको जोड़ने वाली चीज है, अपनी मंजिल तक पहुंचने का जोश और दीवानगी।

‘महंगी चीजें खरीदने पर मुझे अपराधबोध होता था। उस पैसे से कई जिंदगियां बच सकती थीं’

मेडिकल कॉलेज में तभी जाएं, अगर आप मेडिसिन को लेकर गंभीर हैं। अगर आपके दिमाग में थोड़ा सा भी संदेह है कि मेडिसिन का क्षेत्र आपके लिए है या नहीं तो कृपया इस चुनौतीपूर्ण क्षेत्र को न अपनाएं। आपको उसमें पूरी तरह समर्पित होना होगा वरना आप अपने और समाज के साथ न्याय नहीं कर पाएंगे। और अगर इस क्षेत्र को लेकर आपके अंदर दीवानगी है तो कृपया इसे कभी न छोड़ें।

‘जब हम वेतन नहीं दे पा रहे थे, तब भी हमारा कोई कर्मचारी छोड़कर नहीं गया’

यह बहुत ही निराशापूर्ण और डरावना अनुभव था। हमने पहले इंटरनेट बूम के दौरान कस्टमर एसेट शुरू किया था। तेजी से विकास की उम्मीद करते हुए हमने जोखिम पूंजी भी बढ़ाई। कुछ ही महीनों में वह बूम खत्म हो गया और हमारे पास कोई ग्राहक नहीं था।

कांग्रेस है और रहेगी

देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस को लेकर कोहराम मचा हुआ है। पार्टी के अंदर और बाहर भी। अंदर में जहां उपाध्यक्ष राहुल गांधी को सोनिया गांधी के स्थान पर अध्यक्ष बनाने का शोर है तो कांग्रेस के बाहर सत्ताधारी बीजेपी और मीडिया का एक वर्ग जल्दी में कांग्रेस के लिए मृत्यु लेख लिखने और भारत को कांग्रेस मुक्त बनाने के अभियान में जुटा है।

नए विधायकों के लिए इंटर्नशिप था संसदीय सचिव पद

वर्ष 1937 में कांग्रेस-लीग के समझौते के बाद उत्तर प्रदेश में जब पहली बार कांग्रेस सरकार चुनकर आई तो नेहरू मंत्रिमंडल में लीग को स्थान देने के लिए तैयार नहीं हुए, जिसके फलस्वरूप देश के विभाजन की नींव रखी गई थी। मेरा उद्देश्य इस सवाल को उठाना नहीं है। उससे कई और सवाल जुड़े हैं। मैं यहां संसदीय सचिव (पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी) के पद के इतिहास के बारे में बात करना चाहता हूं।

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