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मैगज़ीन डिटेल

उत्पादन क्षेत्र को बढ़ावा देने के उपायों से बदलेगी सूरत

जीएसटी और सीमा शुल्क प्रणाली में बदलावों से उत्पादन क्षेत्र में देसी-विदेशी निवेश की संभावनाएं बढ़ सकती हैं और नतीजतन रोजगार के क्षेत्र में मंदी का माहौल टूट सकता है पर कई बजटीय प्रावधान नाकाफी

राजनीतिक लक्ष्य पर निशाना

जो घोषणाएं बजट में की गई हैं उन पर अमल बहुत आसान भी नहीं है। उनके लिए संसाधनों की बहुत जरूरत है और इस समय सरकार राजकोषीय संतुलन को बनाए रखने के लिए जूझ रही है

उम्मीदों और आकांक्षाओं का गुणा-भाग

कृषि, रोजगार और स्वास्थ्य के संकट को संबोधित करने की कोशिश बजट में दिखी मगर नौकरीपेशा और कॉरपोरेट जगत का इंतजार बरकरार

बुजुर्गों का ख्याल नौकरीपेशा खाली हाथ

आम बजट 2018-19 में कृषि और ग्रामीण क्षेत्र के लिए घोषणाओं का पिटारा खोला गया, लेकिन वेतनभोगी कर्मचारियों की उम्मीदों को पूरा नहीं किया गया

खेती-किसानी की उम्मीदों पर कितना खरा

प्रावधानों से भूमिहीन श्रमिकों के साथ-साथ छोटे और सीमांत किसान सहित ग्रामीण आबादी की स्थिति सुधरेगी, पर त्वरित और समावेशी कृषि विकास के लिहाज से कुछ प्रावधानों के लिए अपर्याप्त आवंटन सवाल पैदा करते हैं

बीमा के भरोसे भला कैसे सुधरेगी सेहत

सबसे बड़ी स्वास्थ्य् बीमा योजना के मद में बजटीय प्रावधान नाकाफी, बाकी घोषणाएं भी अपर्याप्त

गांव और गरीब का बजट

सबसे बड़ी स्वास्थ्य रक्षक योजना सहित तमाम उपाय इस बजट को पिछले कई बजट से अलग बनाते हैं

थोड़े आवंटनों से पूरे की उम्मीद

धरातल पर उतरेंगी अरुण जेटली की घोषणाएं या महज भुलावा देकर रह

उभरे फिजा बदलने के संकेत

राजस्थान में उपचुनाव के नतीजों ने बढ़ाईं विपक्ष की उम्मीदें, हिंदुत्व कार्ड फेल होना भाजपा के लिए खतरे की घंटी

जोगी को मिली नई सियासी बैसाखी

हाइकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री की जाति की जांच के लिए बनी सरकारी कमिटी को खारिज किया, कांग्रेस को इसमें साजिश का संदेह

नेता पुत्र-पुत्रियों की आकांक्षाएं भारी

साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में टिकट के लिए सीएम ‌शिवराज सिंह सहित कई भाजपा नेताओं के वारिस जता रहे दावेदारी

अरसे बाद मौका

राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिग से बिगड़ सकता है कांग्रेस का खेल

भारतीय क्रिकेट के अच्छे दिन

हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि क्रिकेट के अच्छे दिनों के पीछे कई लोगों की अथक मेहनत का भी हाथ है

बॉलीवुड में जमा पटकथा लेखकों का सिक्का

बॉलीवुड के जमे-जमाए फॉर्मूले जमीन चूमने लगे और फिल्में मुंह के बल गिरने लगीं तो स्क्रिप्ट राइटरों का जलवा बढ़ा

अलाउद्दीन खिलजी का तौलिया

बड़े-बड़े खिलजियों से तौलिया बिकवा देता है बाजार

बदलते बोल, बेमानी बहस

एक साथ चुनाव कराने की बहस क्या सियासी शिराजा बिखरने और आम चुनाव पहले कराने का संकेत

छोटे शहरातियों को लुभाती लकदक कार

चलते-फिरते शो रूम से दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों की संभावनाओं को भुनाने में जुटे कार निर्माता

विचारों और बाजार का खुला मंच

ग्यारहवें जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में हर रंग-पात के साहित्यकर्मियों और श्रोताओं की रिकॉर्ड हिस्सेदारी ने इसकी अहमियत साबित की

मिथक ज्ञान मेघ

साहित्य अकादेमी सम्मान से नवाजे गए हैं परम विद्वान, सुकवि डॉ. रमेश कुंतल मेघ

हिंदू-मुस्लिम युग्म के सांप्रदायिक चश्मे के ठीक उलट

कश्मीर के सामाजिक-सांस्कृतिक और राजनीतिक पहलुओं के बारे में बताने वाली महत्वपूर्ण पुस्तक

कर बचाओ, सेहत में लगाओ

स्वास्थ्य बीमा सभी के लिए जरूरी, लेकिन सबकी जरूरतें अलग-अलग, सो, सोच-समझ कर लें

राष्ट्रवाद: गांधी या गोडसे का?

भारत में एकता-अखंडता बची रहे इसके लिए सभी समुदायों को निष्ठा के साथ धर्मनिरपेक्ष रहना होगा

एक देश-एक चुनाव का नफा-नुकसान

यह विचार लोकतंत्र की भावना के खिलाफ लगता है, क्योंकि इससे जनादेश का अनादर होता है

साथ चुनाव संविधान के विरुद्ध

एक देश एक चुनाव के पैरोकारों को सोचना चाहिए कि जब सरकार बहुमत खो देगी तब क्या होगा

मेहनत सारी मीडिया की, मलाई गूगल जैसों की

कंटेंट तैयार किए बिना ही विज्ञापन से होने वाली मीडिया कंपनियों की कमाई का बड़ा हिस्सा झपट ले रही हैं टेक कंपनियां, समाचार, विज्ञापन से कमाई में टेक प्लेटफॉर्म के बढ़ते एकाधिकार की पड़ताल जरूरी

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