खास तरह के भावनात्मक मुद्दे हुए खारिज तो भाजपा हुई पस्त, विपक्षी महागठबंधन को मिला बहुमत
नागरिकता कानून पर बहस और विरोध आगे भी जारी रहेगा, सुप्रीम कोर्ट भी इसकी वैधानिकता को परखेगा, इसलिए यह मुद्दा 2020 में भी बना रहेगा
फिजा बदली तो उम्मीद बढ़ी कि एकजुट महागठबंधन यहां भी पड़ेगा भारी, बढ़ सकता है एनडीए में अलगाव
अशोक गहलोत साल भर में बहुमत का अंतर बढ़ाने में कामयाब, लेकिन आपराधिक घटनाओं से किरकिरी
कमलनाथ सरकार ने जनता पर मजबूत पकड़ कायम करके भाजपा का भय दूर किया
लेकिन पहले साल के बाद कई कड़ी चुनौतियां कर रही हैं इंतजार
सरकार बेफिक्र, अवैध खनन से पांच हजार करोड़ रु. की चपत, हथिनीकुंड और कौशल्या बांध पर खतरा
नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर देश भर में विरोध का नजारा अन्ना आंदोलन जैसा, लेकिन सरकार से अभी भी कोई ठोस संकेत नहीं
नया कानून संविधान और भारत-विचार के विरुद्ध, वरना श्रीलंका, म्यांमार, भूटान के लोगों की चिंता कहां है
व्यक्तिगत आजादी और असंतोष के अधिकार खत्म करने वाले कानूनों को तत्काल बदलने की जरूरत
विभाजन के समय से समस्या झेल रहे असम में अपनी संस्कृति, पहचान, भाषा को लेकर हर धर्म के बहिरागतों का विरोध, वहां हिंदू-मुस्लिम एजेंडा नहीं
मुसलमानों को भारत की तासीर से जोड़ने की पुरजोर कोशिश से ही अखंड भारत का सपना पूरा हो सकेगा
संविधान धर्म, देश, प्रताड़ना के प्रकार के आधार पर लोगों के वर्गीकरण की इजाजत नहीं देता
संविधान धर्म के आधार पर भेदभाव करने की इजाजत किसी सरकार को नहीं देता
आधे से ज्यादा राज्यों द्वारा एनआरसी को लागू करने से इनकार करना, संवैधानिक संकट की दस्तक
बॉलीवुड में नागरिकता कानून पर कुछ फिल्मकारों ने तो खुलकर बोलने का जोखिम उठाया मगर बड़े सितारों ने चुप्पी को पॉलिटिकली करेक्ट माना
पेडों की जड़ों से बने पुलों को जर्मन शोधकर्ताओं ने बताया महत्वपूर्ण
पूरे देश में एनआरसी लागू होता है तो अराजकता फैलेगी। यह देश को तोड़ेगा, संघीय ढांचे को तबाह करेगा। समझदारी यही है कि इस विचार को त्याग देना चाहिए
नए नागरिकता कानून और एनआरसी के विरोध ने देशव्यापी आंदोलन का रूप लिया, खड़े हुए कई सवाल
क्या नए नागरिकता कानून की अवधारणा भारत जैसे अनेक धर्मों, संस्कृतियों, भाषाओं, जीवन शैलियों से मिलकर बने विशाल देश में लागू की जा सकती है?
सरकार बार-बार बंटवारे की गलतियां दुरुस्त करने की बात कर उसके जख्मों को कुरेदकर ताजा कर रही है
नए कानून से भारतीय नागरिकों या मुसलमानों का कोई लेना-देना नहीं, इसलिए अफवाह फैलाना ठीक नहीं
देश के अधिकांश हिस्से में गोरक्षा की नीति नुकसानदेह रही, क्योंकि किसानों के लिए दूध नहीं देने वाले गोवंश को संभालना मुश्किल हो गया है