90 साल की असमा खातून, 82 साल की बिलकीस, 75 साल की सरवरी और 70 साल की नोन निसा समेत सैकड़ों औरतें छोटे-छोटे बच्चों के साथ दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में बीच सड़क पर अस्थायी तंबू के नीचे डटी हैं।
आर्थिक विकास के लिए स्थिरता, सामाजिक समरसता और सद्भाव सबसे जरूरी है। उम्मीद है, सरकार जेएनयू मुद्दे को गंभीरता से लेगी। कुलपति तो बने रहने का नैतिक अधिकार खो चुके हैं
नकाबपोश हिंसा से देश भर के परिसरों में नौजवानों और समाज का धैर्य टूटा, लंबे अरसे से घुमड़ रहे असंतोष के फूट पड़ने से सरकार के सामने चुनौतियां दरपेश, क्या इससे नई राह निकलेगी?