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मैगज़ीन डिटेल

आवरण कथा / पिता पुराण : छतनार बरगद सा पिता

पिता और पुरुष को एक मान लेने की समस्या बीती सदी में दुनिया भर में कमोबेश एक साथ पैदा हुए अस्मितावादी विमर्श की भी देन है

गांधी/ पिता-पुत्र : पिता से पाई फौलादी इरादों की सीख

गांधी को गांधी बनाने में उनके पिता का जितना बड़ा योगदान था, उतना किसी और का नहीं दिखता।

नेहरू/ पिता-पुत्री : 'बचपन से ही वे पिता से बढ़ कर साथी जैसे रहे'

दोनों बाप-बेटी के बीच इतना लंबा और व्यापक रिश्ता रहा कि नेहरू इंदिरा के मां और बाप दोनों हो जाते हैं

मेरे पिता : जो अलग नहीं वही पिता

रमेशचंद्र शाह की पिता पर कविता

मेरे पिता : जब पिता ने धमकी दी सत्याग्रह की...

किशोरावस्था में मेरी जिद और फिजूलखर्ची पर प्यार से मुझे नसीहत देते थे पिता

मेरे पिता : बैसाखी नहीं हैं पिता

पिताजी ने कभी भी जीवन में किसी तरह का दबाव नहीं बनाया। उन्होंने चुनाव करने की स्वतंत्रता दी

मेरे पिता : आज भी चाहिए बाप की मार

राजनीति में अलग पहचान रखने वाले पिता जी जमीन से जुड़े आदमी थे

मेरे पिता : पापा एक अथक अध्यापक

मैं मम्मी-पापा, दोनों के साथ लंबे समय रही मगर मेरे ऊपर छाप पड़ी पापा की

मेरे पिता: सभ्य और भव्य थी उनकी मौत भी

मेरे पिता बीरेन्द्र प्रसाद जैन जवानी में आजादी के अंदोलन में शरीक रहे

मेरे पिता : समय और स्त्री की कद्र का सबक

चूंकि पिताजी कम समय ही घर पर रहते थे, तो उनकी कोशिश रहती थी कि बच्चों पर अधिक से अधिक लाड-प्यार लुटाया जाए

मेरे पिता : लड़की जात होने पर भी बढ़ाया आगे

मां हम छह बच्चों को अनुशासित करने में लगी रहती थीं और पिताजी घर की दीवार और मीनार की तरह हमेशा घड़ी की सुई की तरह लगे रहते थे

मेरे पिता : जड़ों से जुड़ना सिखाया

फिल्म जगत में जो भी कलाकार संघर्ष करता था, पिताजी उसकी सहायता करते थे

मेरे पिता : ख्वाहिश और जरूरत का फर्क

पिताजी का पूरा जीवन सादगी, सरलता और विनम्रता की मिसाल है

मेरे पिता : कर्म ही था उनका ईश्वर

पिताजी को क्रिकेट मैच देखने का बड़ा शौक था

मेरे पिता : एक ईमानदार कर्मयोगी थे पिता

पिताजी ने फिल्म जगत का संघर्ष देखा था। वह फिल्मी दुनिया की दुश्वारियां जानते थे

मेरे पिता : पापा कहते थे मेहनत की खाना

पिताजी जब भी पास होते तो बातचीत के दौरान कुछ ऐसा कह जाते जो मेरे मन में बैठ जाता

मेरे पिता : उनके गुण मेरे बच्चों में भी हों

पापा जो कुछ भी कहते थे उसका गूढ़ अर्थ होता था

मेरे पिता : कामयाब होने का पहला सबक

पिताजी ने कुछ गुरुमंत्र दिए, जिन्हें हमेशा मैंने ध्यान रखा

मेरे पिता : आदिवासियत क्या होती है मैंने पिता से जाना

उनका सबसे बड़ा योगदान यही रहा कि उन्होंने आदिवासी समाज को राष्ट्रीय फलक पर ला दिया

मेरे पिता : 'बोगड़ पहलवान' का खानदान

मेरे पिताजी का मुकाबला ओलिंपिक खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले लीला राम जैसे नामी-गिरामी पहलवान से होता था

मेरे पिता : उनकी सीख से सफल बना

बचपन से ही पिताजी समझाते थे कि पिता बनना तो आसान है मगर पिता होना आसान नहीं है

मेरे पिता : कविता में पितृ-ऋण

मेरे लिए वे पिता के साथ कवि-शिक्षक-दोस्त-रसोइया... सब थे

संपादक के नाम पत्र

भारत भर से आई पाठको की चिट्ठियां

शहरनामा/अम्बाह

यहां की संस्कृति में दोनों राज्यों की झलक देखने को मिलती है

प्रथम दृष्टि : पिता की जगह

बीते साल की कुछ ऐसी स्मृतियां जो संजोकर रखना चाहेंगे, कुछ ऐसी भी, जो हमें वर्षों तक सालती रहेंगी

2022 की झलकियां

जाते हुए कल में आने वाले कल का अक्स

फीफा विश्व कप 2022

विश्व विजेताः विश्व कप और गोल्डन बॉल के साथ लियोनेल मेस्सी

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