1990 और 2000 के दशक में उत्तर प्रदेश में दलित वोटों पर एकाधिकार रखने वाली और राजनीतिक चर्चा के केंद्र में रहने वाली मायावती की अगुआई वाली बहुजन समाज पार्टी के लिए ये चुनाव प्रासंगिक बने रहने की चुनौती
राजनैतिक पार्टियों और एनडीए तथा 'इंडिया' गठबंधनों के दावों के विपरीत इस बार लोकसभा चुनावों की जमीन अनिश्चित, सत्तारूढ़ और विपक्षी गठबंधन दोनों के लिए चुनाव में जीत सियासी वजूद बचाने का सवाल बना
हर चुनाव पिछले चुनाव से अलग होता है। टेनिस की शब्दावली में कहें तो ‘एडवांटेज मोदी’ है, लेकिन ‘गेम, सेट और मैच पॉइंट’ कौन जीतेगा, इसका फैसला उसी जनता के हाथ है, जिसके कारण भारतीय लोकतंत्र की गरिमा बनी हुई है