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मैगज़ीन डिटेल

1967 क्रिकेट डायरीः धमाकेदार उपलब्धि के अनजान लम्हे

पटौदी के नेतृत्व में भारत ने 50 साल पहले जीती थी विदेशी धरती पर पहली सीरीज

नोटबंदी के नफा-नुकसान

नोटबंदी का आम आदमी पर क्या असर पड़ा। इसका सीधा-सा जवाब है कि घटती अर्थव्यवस्था में रोजगार और कारोबार घटते हैं और वही हुआ भी, जिसका अनुभव देश के अधिकांश लोगों को हुआ है

मुनाफे की खिसकती जमीन

आर्थिक खस्ताहाली और नोटबंदी तथा जीएसटी की मार ने जमीन से निवेशकों को दूर किया तो दाम आधे से भी नीचे आ गए

अब जमीन नहीं करती मालामाल

परियोजनाओं के ठप पड़ने से मांग टूटी, दाम घटे तो मुनाफा की उम्मीद में निवेश करने वाले हुए नाउम्मीद, चौतरफा निराशा का माहौल

तिरासी बनाम तिहत्तर

हिमाचल में कांग्रेस का 83 साल के वीरभद्र पर दांव तो भाजपा ने 73 वर्षीय धूमल को मुकाबले में खड़ा किया

कठिन है गुजरात गढ़ की चढ़ाई

जीएसटी, नोटबंदी और पाटीदार-ओबीसी-दलित हलचलों से भाजपा के लिए चुनौती बढ़ी और कांग्रेस में नए जोश का कारण बनी

उलटी पड़ी खाल बचाने की चाल

चौतरफा विरोध के बाद लोकसेवकों से जुड़े कानून पर पीछे हटीं राजे

फिर चमकी जादुई छड़ी

एशिया कप की जीत ने भरा खिलाड़ियों में जोश, नए कोच से दिखी आशा की किरण, पर समस्याएं बरकरार

लोकरंग में रंगा गायक

श्यांमल मित्रा की धुनों में बंगाल का प्रभाव तो था, कम्पोजीशंस की कसावट में शास्त्री य संगीत झलकता था

रहिमन जिह्वा बावरी

पर आज मोबाइल पर उंगली करा रही है गुस्ताखी

इंकलाब को अलविदा न मानिए

रूसी क्रांति और सोवियत प्रयोगों को याद करना आज असहज लगे मगर गैर-बराबरी मिटाने के एजेंडे की धड़कन आज भी ताजा है

आज भी सुनाई देती है जिनकी धड़कन

सौ साल पहले 1917 में जन्मीं इंदिरा गांधी ने समाजवाद से लेकर तानाशाही तक अपने राजनैतिक सफर में इस उपमहाद्वीप पर गहरी छाप छोड़ी

कांग्रेस और सीआइए का वह गठजोड़

छह दशक पहले केरल में निर्वाचित नंबूदीरिपाद सरकार को राज्य में उपद्रव के बहाने बर्खास्त करके केंद्र की कांग्रेस सरकार ने लोकतांत्रिक और प्रगतिशील सुधारों को पहला झटका दिया

गैर-कांग्रेसवाद की दक्षिणायन गति

एक मायने में 1967 में शुरू हुआ था भारतीय राजनीति में दक्षिणपंथ की ओर झुकाव, कांग्रेस की छवि मलिन पड़ने लगी थी, मोहभंग का दौर शुरू हो गया

कोई विचार कभी मरता नहीं

जुल्फिकार अली भुट्टो ने 1967 में सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष शुरू किया और पीपीपी की नींव रखी। आज कहां है उनकी विरासत?

"पीढ़ी-दर-पीढ़ी प्रेरणा का सबब बनती वह बेमिसाल भारत कथा"

जाने-माने लेखक जावेद अख्तर बता रहे हैं 'मदर इंडिया' के 60 साल पूरे होने पर इस फिल्म की अहमियत

ऐसे पढ़ोगे तो बनोगे कामयाब

प्राथमिक शिक्षा को बेमानी रट्टामार पढ़ाई से बाहर निकालकर उसे नया आकार देने की कदम दर कदम पहल

“बना रहा हूं करप्शन फ्री, क्राइम फ्री यूपी”

आज पुलिस अफेंसिव दिखाई दे रही है। 12 सौ से अधिक एन्काउंटर हुए हैं। पुलिस और प्रशासन के कार्य में किसी प्रकार का कोई हस्तक्षेप नहीं। लेकिन, आम पब्लिक के प्रति अधिकाधिक संवेदनशीलता और अपराधियों के साथ सख्ती होनी चाहिए

जीवन उत्सव की फिल्में

सत्यजीत राय की फिल्मों का हिस्सा है सबसे आकर्षक

गिरिजा देवी: एक युग का अंत

सुर निचले हों या ऊपर के, उनका निशाना अचूक होता था और आवाज की बुलंदी वैसी ही बनी रही

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