चुनाव के दौरान आयकर विभाग की विवादास्पद छापेमारी और पैसे की बढ़ती अहमियत से लोकतंत्र में समान अवसर का सिद्धांत बेमानी बन गया तो पूरी प्रक्रिया ही संदिग्ध हो जाएगी
इस बार एक अच्छी, जनहितकारी फसल बोने और उसे लहलहाने वाले कदमों की संभावना नजर आ रही है तो इसकी वजह है कि आम आदमी इन चुनावों में खुलकर बोलने और अपने मुद्दों पर जोर दे रहा है
देश में गरीबों की संख्या 20 करोड़ या लगभग पांच करोड़ परिवार होने की संभावना, इन्हें गरीबी रेखा से ऊपर लाने के लिए 'न्याय' जैसी योजना हो सकती है कारगर, बशर्ते सही तरीके से लागू की जाए
नारे सिर्फ एजेंडे और राजनैतिक जोड़तोड़ का ही बयान नहीं करते, बल्कि इनमें लोगों को प्रभावित करने और जनमत तैयार करने का माद्दा भी होता है। कल और आज के नारों में बदलती सियासी तस्वीर भी दिखती है
इस चुनाव के समय देश में ऐसा वातावरण बना दिया गया है कि संशय होता है कि यह जन-प्रतिनिधि नहीं, योद्धा की तलाश का अभियान है, दरअसल जनता के सवालों से बचने का बहाना है युद्धोन्मादी-राष्ट्रवाद
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को तो पूरा यकीन है कि 23 मई के बाद कांग्रेस और गैर-भाजपा दलों की सरकार देश में बनेगी तो बदलेंगी नीतियां। उन्होंने आउटलुक के एसोसिएट एडिटर प्रशांत श्रीवास्तव से ‘न्याय' योजना, किसान बजट और तमाम योजनाओं के बारे में अपनी राय साझा की। मुख्य अंश...
रायपुर के बाहरी हिस्से में निम्न आय वर्ग की पुनर्वास कॉलोनी में लोगों की आय पर चर्चा और फिर कांग्रेस की ‘न्याय’ योजना पर खासकर महिलाओं के अटपटे सवालों का भी बड़े धीरज और सफाई से जवाब। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की यही खासियत उन्हें बाकियों से अलग करती है। उन्हें पूरा यकीन है कि ‘न्याय’ योजना गेम चेंजर साबित होगी और राज्य की सभी 11 संसदीय सीटें कांग्रेस की झोली में डाल देगी। अपने व्यस्त कार्यक्रमों के दौरान उन्होंने चुनावी रणनीति और सरकार के कामकाज पर आउटलुक के संपादक हरवीर सिंह और विशेष संवाददाता रवि भोई से बातचीत की। कुछ अंशः
लगातार 15 साल तक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे और अब भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह का कहना है कि 2019 का लोकसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के इर्द-गिर्द ही घूम रहा है। मुद्दा मजबूत प्रधानमंत्री या मजबूर प्रधानमंत्री और बेमेल गठबंधन का है। छत्तीसगढ़ में स्थानीय मुद्दे कुछ हावी हो सकते हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे ही प्रभावी होते हैं और लड़ाई 55 साल बनाम पांच साल की है। आउटलुक के संपादक हरवीर सिंह और विशेष संवाददाता रवि भोई ने डॉ. रमन सिंह से रायपुर में खास बातचीत की। मुख्य अंशः
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की गिनती राज्य के कद्दावर पिछड़े नेता के रूप में होती है। पार्टी के स्टार प्रचारक बन चुके मौर्य के सामने पिछले लोकसभा चुनाव का प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है। प्रदेश में भाजपा की चुनावी रणनीति को लेकर आउटलुक के वरिष्ठ संवाददाता शशिकान्त ने उनसे बातचीत की। प्रमुख अंशः
गुटबंदी की शिकार हरियाणा कांग्रेस को लोकसभा चुनाव से पहले एकजुट करने के लिए पार्टी आलाकमान ने प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद की अगुआई में हफ्ता भर पहले कांग्रेसियों को एक बस में प्रदेश भर के दौरे पर भेजा। आलाकमान के इस प्रयास से क्या नेता एकजुट हो पाए? नेताओं को एकजुट करने की चुनौती के बीच चुनाव में कांग्रेस की स्थिति और रणनीति के बारे में आउटलुक के सीनियर असिस्टेंट एडिटर हरीश मानव ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा से बातचीत की। प्रमुख अंश:
ड्राइवर की सीट पर बैठा आदमी दिल्ली में है और बगल की सीट पर बैठा आदमी यूपी में। ठीक ऐसा ही हो यह भी जरूरी नहीं क्योंकि अपने यहां ज्यादातर सड़कें ऐसी होती हैं कि उनमें और कच्ची मिट्टी के बीच ठीक ठीक फर्क करना बड़ा मुश्किल होता है