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मैगज़ीन डिटेल

पुस्तक समीक्षाः डाल्टनगंज '84

पुस्तक ऐसे वक्त में आई है जब सिख-विरोधी दंगों को चालीस बरस पूरे हो रहे हैं

विधानसभा चुनाव’24 महाराष्ट्र: महा उलझन

मराठा आंदोलन, कृषि संकट और दलितों में रोष से निपटने में शिंदे का खजाना कितना कारगर?

विधानसभा चुनाव’24 झारखंड: कौन होगा कद्दावर आदिवासी

भाजपा के पाले में चार आदिवासी पूर्व मुख्यमंत्रियों की अग्निपरीक्षा, तो इंडिया ब्लॉक की हेमंत सोरेन की अगुआई में चुनौती कड़ी

छत्तीसगढ़: अपराध के नए रंग

आदतन अपराधी, जिसने अपने खिलाफ हुई कार्रवाई का बदला नृशंस ढंग से लिया

हरियाणा: मंत्री बना सब साधे

अप्रत्याशित जीत और कांग्रेस के कथित ‘छत्तीस बिरादरी’ के हांके से सबक लेकर भाजपा ने मंत्रिमंडल में संतुलन साधने की कवायद

जम्मू-कश्मीर: संकल्प या सौदा?

जम्मू और कश्मीर की सरकार ने राज्य के दरजे की बहाली पर संकल्प पारित करके केंद्र के साथ संबंधों पर भविष्य का रुख साफ कर दिया

बिहार: पीके का निशाना

जन सुराज पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने जा रहे प्रशांत किशोर क्या वोट कटवा साबित होंगे?

मध्य प्रदेश: नशे का नया ठिकाना

कीटनाशक के नाम पर नशीली दवा बनाने वाले कारखाने का भंडाफोड़

आवरण कथा/इंटरव्यू/उज्ज्वल निकम: करता कोई और है, नाम किसी और का लगता है

आजकल किसी भी अपराध या अपराधी को राष्ट्रवाद से जोड़ने का नया चलन चल पड़ा है

आवरण कथा/बॉलीवुड: मायानगरी की सियासत में जरायम के नए चेहरे

मायापुरी में अपराध भी फिल्मी अंदाज में होते हैं, बस एक हत्या, और बीते दशकों की कई जुर्म कथाओं पर चर्चा का बाजार गरम

आवरण कथा/अपराध: एल कंपनी

अपराध की दुनिया में लंबे समय बाद ऐसा नाम उभरा है, जिसका असर देश की सीमा से पार राजनयिक संबंधों पर पड़ रहा है। सच और झूठ से इतर, गुजरात की जेल में बंद लॉरेंस का अपराध-पुराण

आवरण कथा/अपराध: लॉरेंस के गुर्गे

लॉरेंस बिश्नोई के गिरोह के वे प्रमुख चेहरे जिनके माध्यम से वह जेल में बैठे-बैठे अपने काम को अंजाम दे रहा है

आवरण कथा/अपराध: कभी बोलती थी जिनकी तूती...

वैसे तो देश भर में अलग-अलग इलाकों में जुर्म के कई चेहरे रहे, लेकिन खासकर बंबई को अपराध का पर्याय बनाने में फिल्मों और लोकप्रिय माध्यमों की भूमिका बहुत रही

क्रिकेट: पाकिस्तानी गर्दिश

कभी क्रिकेट की बड़ी ताकत के नाते चर्चित टीम की दुर्दशा से वहां खेल के वजूद पर ही संकट

बॉलीवुड/इंटरव्यू: ‘मुझे ऐसा सिनेमा पसंद है जो सोचने पर मजबूर कर दे’

घासीराम कोतवाल (1972) नाटक में अपनी भूमिका के लिए वे खास तौर से जाने जाते हैं

सप्तरंग

ग्लैमर जगत की खबरें

इजरायल-फलस्तीन: फलस्तीन पर अरब की सरकारें उदासीन क्यों

फलस्तीन के मसले पर अरब देशों के शासकों और उसकी जनता का नजरिया एक-दूसरे के खिलाफ क्यों है?

धरोहर: विरासत बन गई कोलकाता की ट्राम

दुनिया की सबसे पुरानी सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में एक कोलकाता की ट्राम अब केवल सैलानियों के लिए चला करेगी

पुस्तक समीक्षा: गांधी के आईने में आज

गांधी होते, तो हिंदू राष्ट्रवादी नेतृत्व से क्या और कितना घृणा करते, गांधी ने तो अंग्रेजों से भी घृणा नहीं की

प्रथम दृष्टि: खबर सिर्फ खबर है

किसी जेल में दिन काट रहा कई अपराधों का आरोपी कथित रूप से अपने गैंग की मदद से कैसे जुर्म की घटनाओं को देश से विदेश तक में अंजाम दे रहा है? हमारा यह अंक किसी अपराधी विशेष पर नहीं, ऐसी व्यवस्था पर सवालिया निशान है

पत्र संपादक के नाम

पाठको की चिट्ठियां

स्मृति: एक शांत, समभाव, संकल्पबद्ध कारोबारी

रतन टाटा ने जब 1991 में जेआरडी टाटा से कंपनी की कमान ली थी, तब तक टाटा समूह विशालकाय हो चुका था।

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