धीरे-धीरे इंडिपेंडेंट फिल्मकारों की एक नई खेप इंडस्ट्री में अपनी जगह बना रही है और दर्शकों को ऐसे खींच रही है कि सुपरस्टार भी बदलने पर मजबूर
#मीटू अभियान से पितृसत्तात्मक भारतीय समाज के ऐसे सैकड़ों चेहरों के नकाब उतरने लगे हैं जिन्होंने अपनी ताकत और रुतबे की धौंस में महिला सहयोगियों या सहकर्मियों और मातहतों का यौन शोषण किया
मिलेनियम जेनेरेशन के बदले दर्शक तो बदली मायानगरी, अब सुपरस्टार नहीं, कहानी शहंशाह
स्त्री-केंद्रित फिल्मों की सफलता से बॉलीवुड का समीकरण बदला, नए फिल्मकार ऐसी कहानियों को दे रहे तरजीह जो अपने अधिकारों और अपनी तरह जिंदगी जीने के स्त्रीे-अधिकारों पर जोर दे
नई सदी के संगीतकारों ने 18 साल में जो विविधता दिखाई है, वह बीती सदी के 80 साल में नहीं दिखे
सितारों का दौर पहले की तरह नहीं रह गया है। असली खुशी की बात यह है कि दर्शक अपने चहेते सितारों से भी बेहतर कंटेंट चाहते हैं
कहने को भले बॉलीवुड का सिनेमा हिंदी का सिनेमा था, लेकिन उसने हिंदी भाषी समाज को समझने में ज्यादा रुचि आज से पहले नहीं दिखाई, जैसे-जैसे सिनेमा अपनी जमीन बढ़ाता जाएगा, उसकी चमक भी बढ़ेगी
प्रदेश में सात दिसंबर को होने हैं विधानसभा चुनाव, भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए अंदरूनी गुटबाजी बन सकती है परेशानी का सबब
पिछले तीन विधानसभा चुनावों में अलग-अलग खेमों में बंटी कांग्रेस के इस बार कमलनाथ के नेतृत्व में एकजुट होने से भाजपा की चुनौती बढ़ी
भाजपा और कांग्रेस के बीच इस बार भी कांटे की लड़ाई, लेकिन जोगी कांग्रेस-बसपा गठबंधन का प्रदर्शन तय करेगा अगली सरकार किसकी
विपक्ष के अप्रत्याशित गठबंधन से केसीआर का गणित गड़बड़ाया
योगी सरकार की भर्तियां भी विवादों में घिरीं, पारदर्शिता की कथित प्रक्रिया में बदलाव भी सवालों में
एशियाड में मौका चूकने से हॉकी टीम वर्ल्डकप के पहले ही पस्त, ओलंपिक में क्वालिफाई की चुनौती बढ़ी
बदलता वक्त बहुत कनफ्यूजन लाता है, बदलता हुआ कानून नए बवाल पैदा कर देता है
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में असली 'कुरुक्षेत्र' तो मध्य प्रदेश ही साबित होता लग रहा
पराली जलाने की समस्या का हल तलाशने में सरकारें नाकाम, अब जुर्माने और मुकदमे से किसानों को डराने में जुटीं
बॉलीवुड, कॉमेडी और सबसे भयावह मीडिया...इंडस्ट्री-दर-इंडस्ट्री थर्रा उठी, मीटू के बहादुराना बोल तेज हुए तो दबी-सिमटी हया की हदें टूटीं, अब वक्त है कि हर कामकाजी क्षेत्र वासना के भूखे दरिंदों से निजात पाए
#मीटू कैंपेन ने बॉलीवुड में सनसनी फैला दी है, लेकिन बड़े सितारों के मुंह खोलने की कंजूसी के क्या मायने
आउटलुक टीम की जुटाई जानकारी से निकले मोटे अनुमान के मुताबिक उपभोक्ता वस्तुओं का एमआरपी लागत से 70 फीसदी तक ज्यादा, कुछ मामलों खासकर दवाइयों पर तो यह सैकड़ों गुना ज्यादा, लेकिन किसी सरकारी नियामक व्यवस्था के अभाव में उपभोक्ताओं से खुली लूट की छूट
अर्थव्यवस्था की स्थिति चिंताजनक है, फिर भी सरकार सुधार करने की जगह दोष मढ़ने में व्यस्त है
कई उपशीर्षकों में बंटा यह संग्रह जैसे किसी ओट में बैठी कवयित्री का संवाद है- मां से, अपने आप से, अपने सखा से, अपने ईश्वर से
गंगा तीरे एक विशद यात्रा भी है और एक संस्मरण भी, जो उस संस्कृति की धारिणी ‘पवित्र’, ‘पूज्य’ नदी के पौराणिक अाख्यान से लेकर मौजूदा समय में उसकी दशा-दिशा का ऐसा ब्योरा है, जो विरले ही मिलता है
संघ और भाजपा के नेता अकसर ‘राष्ट्रपिता’ कहने पर भी सवाल उठाते रहते हैं