बॉलीवुड, कॉमेडी और सबसे भयावह मीडिया...इंडस्ट्री-दर-इंडस्ट्री थर्रा उठी, मीटू के बहादुराना बोल तेज हुए तो दबी-सिमटी हया की हदें टूटीं, अब वक्त है कि हर कामकाजी क्षेत्र वासना के भूखे दरिंदों से निजात पाए
#मीटू अभियान से पितृसत्तात्मक भारतीय समाज के ऐसे सैकड़ों चेहरों के नकाब उतरने लगे हैं जिन्होंने अपनी ताकत और रुतबे की धौंस में महिला सहयोगियों या सहकर्मियों और मातहतों का यौन शोषण किया
स्त्री-केंद्रित फिल्मों की सफलता से बॉलीवुड का समीकरण बदला, नए फिल्मकार ऐसी कहानियों को दे रहे तरजीह जो अपने अधिकारों और अपनी तरह जिंदगी जीने के स्त्रीे-अधिकारों पर जोर दे
कहने को भले बॉलीवुड का सिनेमा हिंदी का सिनेमा था, लेकिन उसने हिंदी भाषी समाज को समझने में ज्यादा रुचि आज से पहले नहीं दिखाई, जैसे-जैसे सिनेमा अपनी जमीन बढ़ाता जाएगा, उसकी चमक भी बढ़ेगी
आउटलुक टीम की जुटाई जानकारी से निकले मोटे अनुमान के मुताबिक उपभोक्ता वस्तुओं का एमआरपी लागत से 70 फीसदी तक ज्यादा, कुछ मामलों खासकर दवाइयों पर तो यह सैकड़ों गुना ज्यादा, लेकिन किसी सरकारी नियामक व्यवस्था के अभाव में उपभोक्ताओं से खुली लूट की छूट
गंगा तीरे एक विशद यात्रा भी है और एक संस्मरण भी, जो उस संस्कृति की धारिणी ‘पवित्र’, ‘पूज्य’ नदी के पौराणिक अाख्यान से लेकर मौजूदा समय में उसकी दशा-दिशा का ऐसा ब्योरा है, जो विरले ही मिलता है