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मैगज़ीन डिटेल

ये खेमेबंदियां महज फिल्मी नहीं

मोदी समर्थक और मोदी विरोधियों की दो-टूक सियासी बंटवारे की यह आंधी तो सौ साल के इतिहास में कभी नहीं दिखी, फिल्मोद्योग में सियासी खेमेबंदी काफी कड़वाहट भी पैदा करने लगी है, जिसके नतीजे दिख सकते हैं आगे भी

गरम हवा में मुद्दे कहां

बेहतर होगा कि मतदाता हवाई मुद्दों के बजाय अपने जीवन की बेहतरी के लिए वोट करें, क्योंकि इसी से लोकतंत्र मजबूत होगा और उसका भविष्य भी बेहतर होगा

“वोट न देने को कहने वाले वंशवादी”

हाल के दौर में 500 से ज्यादा फिल्मों के दिग्गज अभिनेता अनुपम खेर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कट्टर समर्थक बनकर उभरे हैं। जब मोदी विरोधी फिल्म और थिएटर कलाकारों ने इस संसदीय चुनाव में एनडीए सरकार को सत्ता से हटाने के लिए वोटरों के नाम संयुक्त अपील जारी की, तो इसके खिलाफ आवाज बुलंद करने वालों में अनुपम सबसे पहले थे। गिरिधर झा से बातचीत में खेर कहते हैं कि हर किसी को राय जाहिर करने का हक है। कुछ अंशः

ऐसा विभाजन नहीं देखा

ट्रोल करने वाले वक्त के साथ गुमनाम हो जाएंगे, लेकिन विसंगतियों पर आवाज उठाने वाले नायक कहलाएंगे

जहां है सितारों की सियासी पूछ

सही पाले में होने से ही चलता है फिल्मी सितारों का जादू

मोदी फैक्टर या जाति गणित!

लहर किसी ओर नहीं, जो है वह दिख नहीं रहा और जो दिख रहा है, वह है अधूरा, वोटरों के मौन ने बढ़ाया असमंजस

पुरबिया हवा में मुद्दे पुख्ता

पूर्वी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रवाद बनाम जमीनी मुद्दों और समीकरण की टक्कर में मतदाता भी चौकस

नमो पर कितने भारी नाथ?

कमलनाथ के तीन महीने के काम और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि के बीच मुकाबला, दांव पर दोनों की साख

किस पर दिल मेहरबान

त्रिकोणीय मुकाबले में आप काम पर तो कांग्रेस सत्ता विरोधी रुझान और भाजपा मोदी फैक्टर के सहारे

अब आई बारी पोते पड़पोतों की

राज्य के मशहूर तीन लालों के ही नहीं, बल्कि दूसरे दिग्गज नेताओं की तीसरी और चौथी पीढ़ी के वंशज भी विरासत बचाने को मैदान में

चुनाव में स्त्रीः नारी द्वेष के चुनावी खेत-खलिहान

प्रचार के दौरान महिला उम्मीदवार जो सहती हैं वह दुःस्वप्न से कम नहीं, इसका एक ही समाधान है, महिला सांसदों-विधायकों में इजाफा

साख पर ऐसा सवाल तो शायद ही कभी उठा

इस आरोप के बाद प्रधान न्यायाधीश ने जैसा रुख दिखाया, उससे न्याय-व्यवस्था की निष्पक्षता पर लोगों का भरोसा डगमगा गया, आखिर न्यायाधीशों को सीजर की पत्नी की तरह संदेह से परे होना चाहिए

इस्लामिक नकाब के पीछे

इस्लामिक स्टेट की युवाओं को अपनी हिंसक विचारधारा से प्रभावित करने की क्षमता बन रही चिंता का सबब

भगवा ब्रिगेडः हिंदुत्व के नए हरावल

मंदिर से फोकस राष्ट्रवाद की ओर मुड़ा तो पुराने चेहरे फीके पड़े, नए नायक उभरे

कृषि सब्सिडी पर नए पेच के तर्क-वितर्क

दशकों पुराने मूल्य आधार पर सब्सिडी की गणना होने से भारत की सब्सिडी बहुत ज्यादा है इसलिए गणना के तरीके को तार्किक बनाने की सख्त जरूरत, वरना इसका खामियाजा भारतीय किसानों को उठाना पड़ सकता है

ठेके पर पढ़ाई दुर्दशा ले आई

शिक्षा के लगातार गिरते स्तर की आज सबसे भयावह मिसाल ठेके पर शिक्षकों की भर्ती और सरकारी खर्च में कटौती के उपाय बने

जिम्मेदारी से भागने की संविदा

कुछ राज्यों में स्थायी शिक्षकों की भर्ती रुक गई और खाली पद संविदा शिक्षकों से भरे गए

आरी जरदोजीः अनमोल हुनर गर्दिश में

मशीनी डिजाइनर वस्त्रों ने फीका किया जरदोजी वस्त्रों का जादू, सरकारी मदद के दावे भी बेदम

पक्षी शिल्पः स्त्री सम्मान का संदेश

केरल में चट्टयामंगलम की चोटी पर स्त्रीी सुरक्षा और सम्मान को समर्पित दुनिया का सबसे बड़ा पक्षी शिल्प

काली कमाई की राजनीति

काली अर्थव्यवस्‍था देश में जीवन का अनिवार्य अंग बन गई है

मानवीय आदर्शों की स्वीकारोक्ति

पुस्तक में संपादक की उपस्थिति दक्ष आलोचक की तरह नजर आती है

नाटक में गांधी

हमारी चुनावी राजनीति जिस तरह महात्मा को आज भी कुचल रही है, उनके 150वीं जयंती वर्ष में नाटकों में नए गांधी से साक्षात्कार

लोकतंत्र के सामने चुनौतियां

राजनैतिक दलों की स्वार्थपरता, अदूरदर्शिता और मूल्यहीनता के कारण बहुत अधिक उम्मीद नहीं जगती

साध्वी का श्राप या ढोंग

प्रज्ञा ठाकुर का हेमंत करकरे जैसे शहीद के बारे में गैर-जिम्मेदाराना बयान बेहद निंदनीय

पीएम ही पीएम, मिल तो लें

यूपी में तो लगभग हर दल का नेता पीएम है, क्योंकि पीएम तो यूपी ही चुनता है

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