हाल ही में हुए बिहार चुनाव में महिला मतदाताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। महिलाओं का एक बड़ा तबका वोट देने पहुंचा और चुनावी नतीजों में सशक्त भागीदारी निभाई। राजनीति की इसी नई इबारत पर दिल्ली विश्वविद्यालय की सहायक अध्यापक प्रतिष्ठा सिंह ने वोटर माता की जय पुस्तक लिखी है।
हिंदी फिल्मों में 80 का दशक संगीत के मामले में श्रेष्ठ नहीं माना जाता। अपवादों को छोडक़र मुख्यत: डिस्को, एक्शन के इस दौर में संगीत के नाम पर शोर-गुल अधिक मिलता है।
कम से कम हवाई-यात्रा के अच्छे दिन तो नए साल से आ ही जाएंगे, भले ही 15 लाख का कालाधन अभी तक बैंक में नहीं आ पाया हो। सरकार ने उड़ान योजना की दुंदुभि बजा दी है। आम आदमी को आधे दामों में उडऩे से अब कोई नहीं रोक सकता।
लोकतंत्र में जनता जनार्दन किसके भरोसे संघर्ष और सफलता के लिए कदम आगे बढ़ाती है? प्रधानमंत्री, सर्वोच्च अदालत के न्यायाधीश, भारतीय सेना के प्रमुख, सी.बी.आई. के प्रमुख, डॉक्टरों की योग्यता एवं आचार संहिता तय करने वाली मेडिकल काउंसिल, राज्यों के मुख्यमंत्री और उनके संवैधानिक संरक्षक राज्यपाल, अधिक भक्तित भाव होने पर बड़े धर्मगुरु या समय-समय पर उभरने वाले नामी समाजसेवी पर। लेकिन इस समय हाल क्या है?