लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार का एक बार फिर लालू प्रसाद की राजद को छोड़ जाना और वापस एनडीए में आना उनकी राजनीतिक सूझ-बूझ का परिचायक माना जाए या कुर्सी के लिए वैचारिक अवसरवाद का ऐतिहासिक प्रदर्शन?
केंद्र सरकार इजरायल से भारतीयों को सुरक्षित निकालने में लगी है तो हरियाणा सरकार युवाओं को वहां नौकरी के नाम पर भेज रही
भाजपा सरकार ने नए सिरे से खोला माओवादियों के खिलाफ मोर्चा
भाजपा की चालें और ईडी की दबिश ही बताती है कि विपक्षी गठजोड़ अभी कमजोर नहीं
नीतीश की भूख सिर्फ और सिर्फ मुख्यमंत्री की कुर्सी से पूरी होती है
युवा विकेटकीपर बल्लेबाज ईशान किशन को वाकई आराम की दरकार थी या आराम करने भेज दिया गया?
2024 में कुछ ऐसी फिल्में आने वाली हैं, जिनका दर्शक बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं
भारतीय राजनीति के प्रतीक-पुरुषों को सत्ता की मर्यादाहीन राजनीति में इस्तेमाल कर लगातार उनकी अवमानना की जा रही
रामायण के विभिन्न पात्रों का जो विशिष्ट सामाजिक-कथात्मक आधार है, यही भाजपा को आगामी चुनावों में लाभांश देगा
राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा की अनुगूंज उत्तर को पार करके दक्षिण के राज्यों तक पहुंच चुकी है, कर्नाटक से लेकर केरल तक प्रचारक और स्वयंसेवक अक्षत लेकर पहुंचे
पालमपुर में 1989 की भाजपा कार्यसमिति में राम मंदिर का ऐतिहासिक प्रस्ताव पास हुआ था, उस वक्त सूबे में वीरभद्र सिंह की कांग्रेसी सरकार थी, लेकिन उन्होंने पूर्ण सहयोग किया, यानी राम मंदिर निर्माण में हिमाचल का योगदान है अहम
आज राम के नाम पर जितना कुछ और जैसा कुछ हुआ है, उसकी चर्चा के साथ गांधी को जोड़ना एक तरह का गुनाह है
दयाशंकर मिश्र ने ‘राहुल गांधी’ के नाम से लिखी किताब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल को खबर-दर-खबर के तौर पर उभारा
पंद्रह जनजातियों के सामूहिक संघर्ष का प्रतिफल
संपूर्ण यादों का एल्बम
राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकता का कोई साझा मंच तैयार होता है तो प्रादेशिक पार्टियों के नेताओं को उसका सिरमौर कांग्रेस को ही मानना होगा। जिन्हें यह स्वीकार नहीं होगा उनकी राहें जुदा हो जाएंगी, जैसा संभवतः नीतीश के मामले में हुआ। बेहतर है कांग्रेस अपने संगठन को हिंदी पट्टी में मजबूत करे