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मैगज़ीन डिटेल

आवरण कथा/शख्सियत: ‘दम’दार दावेदार

लड़कियों ने हर क्षेत्र में सफलता की नई इबारत लिखनी शुरू की, तो मर्दाना दमखम की पहचान रहे खेलों में भी साबित कर दिखाया कि शक्तिमान सिर्फ पुरुष नहीं, पहलवानी, मुक्केबाजी, कबड्डी, भारोत्तोलन के अखाड़ों में शौर्य दिखाने वाली लड़कियों के संघर्ष की चुनिंदा दास्तान

नक्सलवाद: कमजोर होती जड़ें

कई नेताओं, आदिवासी कमांडरों के कथित मुठभेड़ में मारे जाने या सरेंडर करने से क्या माओवादी आंदोलन आखिरी मुकाम पर?

नक्सलवाद: आदिवासी गोरिल्ला

शीर्ष माओवादी कमान तक पहुंचा था इकलौता आदिवासी

आवरण कथा/महिला खिलाड़ी: बेमिसाल रोशन लड़कियां

दृष्टिबाधित क्रिकेट विश्व कप की जीत भारतीय लड़कियों के पॉवर और मसल्स गेम में नई कड़ी है, लड़कियों ने साबित किया दमखम सिर्फ मर्दाना नहीं होता

फिल्म: दास्तान जो भुलाई न गई

यह फिल्म शाहबानो के संघर्ष को दोबारा रचती तो है, लेकिन उसके बाद की राजनीति को दिखाने से थोड़ा परहेज करती है

स्मृति: जेंटलमैन से हीमैन तक का सफर

रोमांटिक हीरो से लेकर ढिशुम-ढिशुम वाली भूमिकाओं तक, धर्मेंद्र ने बॉलीवुड में, मर्दानगी और भाषा को अलग ही आकार और मुकाम दिया

सप्तरंग

ग्लैमर जगत की खबरें

बांग्लादेश: दिल्ली हसीना को सौंपेगी?

पूर्व प्रधानमंत्री को मौत की सजा के बाद उनके प्रत्यर्पण की मांग भारत शायद ही माने, इससे दोनों देशों के रिश्तों में खटास बढ़ने की आशंका

दिल्ली प्रदूषण: बढ़ती आपदा

राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण लोगों को गंभीर बीमारियों का सबब बनने लगा, लेकिन सरकारी रवैया कुछ खानापूर्ति जैसे उपाय करके जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने वाला

नई श्रम संहिता: क्या हक रहे, क्या हटे

तमाम मजदूर संगठनों के भारी विरोध के बावजूद श्रम कानूनों के बदले लागू की गई चार संहिताओं में कई अधिकार सीमित हुए, नियोक्ताओं को सहूलियत हुई, इससे कितना होगा श्रम सुधार

द्रविड़ आंदोलन शताब्दी: आज भी गहरा असर

तमिलनाडु में द्रविड़ आंदोलन ने मंचीय कला, सिनेमा, साहित्य को औजार बनाया और राज्य के सामाजिक ताने-बाने में ऐसे बस गया कि उसके अलावा राजनीति का कोई मुहावरा नहीं

प्रथम दृष्टि: कैसा नेता चाहिए

बिहार के नए जनादेश को लेकर कई तरह की प्रतिक्रियाएं हैं लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि चुनावी राजनीति में बिना किसी बड़ी पार्टी से जुड़े अधिकांश अच्छे उम्मीदवार क्यों सफल नहीं हो पाते

पत्र संपादक के नाम

पाठको की चिट्ठियां

स्मृति: मानवी सभ्यता का सिद्धांतकार

सच्चिदानंद जी के विचार बहुत बाद में वैश्विक चर्चाओं का विषय बने

शहरनामा: मंडी

बाबा भूतनाथ की नगरी

बिहार/नजरिया: चुनाव और पलायन

हाल के विधानसभा चुनाव में आखिरकार कई दशकों बाद पलायन मुद्दा बना और उनकी दुर्दशा चर्चा में आई लेकिन दुखद यह है कि उसे सिर्फ वोट बटोरने का एक और साधन बना दिया गया

स्मृति: ज्यों की त्यों धर दीन्हीं चदरिया

सच्चिदानंद सिन्हा के मानस की रचना शुरू हुई भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दृश्यों, घटनाओं से, आजादी के संघर्ष से। उनके परिवार में राजनीति रची-बसी थी

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