पुराने जूतों को रिसाइकिल कर बनाए गए फुटवियर से जिंदगी बदल रहे श्रियांस भंडारी
प्रधानमंत्री को इस बार लाल किले की प्राचीर से अपनी तमाम उपलब्धियों, नीतियों, कार्यक्रमों और न्यू इंडिया व बदलते भारत की प्रगति का हिसाब भी देना चाहिए। इससे लोगों को भरोसा रहेगा कि नेतृत्व अपने वादों पर कितना गंभीर है
कुछ ऐसे उद्यमी जिन्होंने अपने नए सोच, नवाचार और हौसले से देश की अर्थव्यवस्था को नए क्षेत्रों में दिया विस्तार
मध्यवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले शशांक की विटीफीड दुनिया की दूसरी और देश की सबसे बड़ी कंटेंट मार्केटिंग कंपनी
त्रिशनित अरोड़ा ने 2014 में महज 21 बरस की छोटी-सी उम्र में टीसीए सिक्योरिटी नामक साइबर सिक्योरिटी कंपनी खड़ी की
आइआइटी के तीन दोस्तों ने साथ मिलकर की फ्लाइरोब की शुरुआत, अब करोड़ाें का कारोबार
सड़क निर्माण के हर पहलू के 3डी विश्लेषण के बेमिसाल डाटा से किया कमाल
2008 में ऑटो एक्सपो देखने के बाद आया था पोर्टल शुरू करने का आइडिया
अक्षय ने यूएसबी बैंक और आरुषि ने वर्ल्ड बैंक छोड़ फिटपास शुरू किया
महज तीन साल में ही कंपनी का कारोबार दोगुना से भी अधिक किया
कठिन परिश्रम को अपनी सफलता का राज मानने वाले अनमोल जग्गी रोज 18 घंटे काम करते हैं
कई सरकारी महकमों को एनालिटिकल डाटा सेवा मुहैया करा रही है मोबीप्रॉब
पंद्रह बरस में हार्डवेयर विशेषज्ञ बने मनन शाह एथिकल हैकिंग पर किताबें भी लिख चुके हैं
विदेश से फिल्म मेंकिंग की पढ़ाई करने के बाद पकड़ी नई राह
चौदह महीने में ही देश की टॉप टेन कंपनी में शुमार हो चुकी है हरटेक सोलर
टेकमेंट इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी विकसित करने में करती है मदद, कई देशों में फैला ग्राहकों का जाल
छह साल पहले नौकरी छोड़ी, फिर जोल्ट एनर्जी नाम से अपनी कंपनी बनाई
अभी 15-20 मिनट उड़ते हैं ड्रोन, लक्ष्य एक घंटे से अधिक उड़ने वाले ड्रोन बनाने का
खेती को फायदे का सौदा बनाने के लिए किसानों और उपभोक्ताओं के बीच बनाया पुल
असली मुद्दा दबा, अब बन सकता है असम के बाहर भी राजनैतिक जोर-आजमाइश का मसला
बालिका गृह कांड में शुरुआती लीपापोती नीतीश के लिए बनी गले की फांस, कई और परतें खुलनी बाकी
राजस्थान डिजिफेस्ट से लोगों तक पहुंचने की मुहिम, लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं
सेक्रेड गेम्स डिजिटल संसार में अभिव्यक्ति की आजादी की शक्ति और रचनात्मकता को रेखांकित करता है
अब हम आजाद हैं और भारतीयों को दूसरे भारतीयों को मारने की पूरी आजादी मिल गई है, जो पहले सिर्फ अंग्रेज अफसरों को थी
खस्ताहाली की कगार पर खड़े पाकिस्तान में इमरान खान के लिए फौज की मर्जी से आगे जाना मुश्किल
नई पीढ़ी अगर बेझिझक वर्जित मुद्दों पर बहस कर पा रही है तो बेशक पहला पड़ाव पार हो गया
जब लक्ष्य पांच साल में पूरे नहीं कर पा रहे तो 2019 से 2022 तक तीन साल में क्या बदल देंगे
नवीन पटनायक की यह राजनैतिक जीवनी वह वृतांत है कि राज्य में आए एक महा चक्रवात ने कैसे समूची राजनैतिक बिरादरी की साख लूट ली और ओडिया लोगों को कैसे बीजू बाबू के इस वारिस में मसीहा का रूप दिखने लगा
सरदार पटेल, आंबेडकर वगैरह के बाद अब प्रेमचंद का भगवा संस्करण तैयार करने का दयनीय प्रयास
करुणानिधि ने तमिल समाज, राजनीति और संस्कृति पर जो छाप छोड़ी, उसका जोड़ मिलना मुश्किल