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मैगज़ीन डिटेल

आवरण कथा/दस साल निर्भया : निर्भय निर्लज्जता की हदें

निर्भया कांड के दस साल बाद और उसके गुनहगारों को फांसी के करीब तीन साल बाद रोज बढ़ती यौन हिंसा और उसकी बर्बर प्रकृति यह दिखाती है कि बलात्कार विरोधी आंदोलन से उपजे सारे महिला सुरक्षा कानून पूरी तरह हुए फेल

मध्य प्रदेश : मुझे नहीं, बेटे-बेटी को टिकट दो

अगले साल विधानसभा चुनाव के लिए सत्ताधारी भाजपा के कई बड़े नेताओं ने अपने परिजनों को टिकट दिलवाने की मुहिम तेज की

झारखंड : खतियान नीति से पटकनी

कुशल खिलाड़ी की तरह हेमन्त सोरेन ने केंद्र सरकार के पाले में डाल दी हैं दो गेंदे

दस साल निर्भया/इंटरव्यू/आशा सिंह : “वक्त 2012 में ही जैसे ठहर गया है, बल्कि बदतर होता जा रहा है”

16 दिसंबर 2012 की उस काली रात के बाद का वह मंजर याद कीजिए, जब उस बहादुर लड़की ने कई बलात्कारियों से लोहा लिया और अंतत: विदा हो गई।

दस साल निर्भया/इंटरव्यू/सीमा कुशवाहा : “बलात्कार की संस्कृति को बढ़ावा दे रहा सिस्टम”

दूसरे देशों में फांसी की सजा एक निषेध के रूप में इस्तेमाल की जाती है। यहां फांसी की सजा से ज्यादा अहम उसके क्रियान्वयन की अवधि होती है

दस साल निर्भया/इंटरव्यू/एडवोकेट ए.पी. सिंह : “पुरुष किसके पॉलिटिकल एजेंडे में है ?”

जब तक लोग अपने लड़के-लड़कियों को बौद्धिक, शारीरिक और मानसिक स्तर पर सशक्त नहीं करेंगे, तब तक घटनाएं नहीं रुकेंगी

आवरण कथा/नजरिया : मृत्युदंड समय की मांग है

दिल्ली पुलिस को अपनी जांच पर शर्म आनी चाहिए कि दस साल बाद छावला कांड के मुजरिम छोड़ दिए गए

गोवा फिल्म महोत्सव : विवाद का गहरा साया

समारोह के समापन पर जूरी अध्यक्ष की द कश्मीर फाइल्स पर बेबाक टिप्पणी से उठे सवाल

गोवा फिल्म महोत्सव/ नजरिया : नेदाव लैपिड की ‘कश्मीर फाइल्स’

इंसानी और सामाजिक जीवन में कला की अहम भूमिका यह भी है कि वह इन दोनों के फर्क को समझे और समझाए

सप्तरंग

मनोरंजन जगत की हलचल

ग्रामीण नाम : बदनाम गाम की शर्म

हर क्षेत्र में कुछ ऐसे गांव हैं जिनके नाम वहां के लोगों को शर्मिंदा करते हैं, इन नामों के बदलने की कवायद जारी

फीफा विश्व कप 2002 : खून और आंसुओं भरा फर्स्ट हॉफ

कतर में फुटबॉल विश्व कप 2022 के आयोजन की तैयारियों में मारे गए भारतीय मजदूरों के परिजनों को मुआवजे का लंबा इंतजार

जनादेश 2022 : राज्य अलग, आदेश अलग

नतीजे महत्वपूर्ण, लेकिन हर राज्य में वही हुआ जो उसकी स्वाभाविक धारा है, इसलिए 2024 को इसकी छाया में देखना शायद ठीक नहीं

जनादेश 2022/नजरिया : मोदी-शाह चुनावी मॉडल

गुजरात में इस बार का विधानसभा चुनाव भाजपा की पारंपरिक राजनीति का स्वाहा होना है

जनादेश 2022/ दिल्ली नगर निगम : डेढ़ दशक बाद भाजपा की गद्दी डोली

तीन नगर निगमों के एकीकरण के बाद हुए पहले चुनाव में कांग्रेस साफ

जनादेश 2022/उपचुनाव: सबको मिला कुछ न कुछ

एक लोकसभा और छह विधानसभा उपचुनावों में मिश्रित नतीजे

पुस्तक समीक्षा : राजनीति में ज्ञान

पुस्तक तमाम विमर्शों और नए सवालों को सामने रखकर उस पर विचार करने को प्रेरित करती है

प्रथम दृष्टि : मतदाता का मन

कोई भी मजबूत या कमजोर पार्टी मतदाता को हल्के में नहीं ले सकती। भारतीय लोकतंत्र की यही सबसे बड़ी खूबसूरती है

संपादक के नाम पत्र

भारत भर से आई पाठको चिट्ठियां

शहरनामा / बख्तियारपुर

गांधीजी ने जब ‘अंग्रेज भारत छोड़ो’ और भारतीयों के लिए ‘करो या मरो’ का नारा दिया तो इस छोटी-सी जगह से आजादी की लड़ाई में सैकड़ों लोग कूद पड़े

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