बिहार के नए जनादेश को लेकर कई तरह की प्रतिक्रियाएं हैं लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि चुनावी राजनीति में बिना किसी बड़ी पार्टी से जुड़े अधिकांश अच्छे उम्मीदवार क्यों सफल नहीं हो पाते
लड़कियों ने हर क्षेत्र में सफलता की नई इबारत लिखनी शुरू की, तो मर्दाना दमखम की पहचान रहे खेलों में भी साबित कर दिखाया कि शक्तिमान सिर्फ पुरुष नहीं, पहलवानी, मुक्केबाजी, कबड्डी, भारोत्तोलन के अखाड़ों में शौर्य दिखाने वाली लड़कियों के संघर्ष की चुनिंदा दास्तान
राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण लोगों को गंभीर बीमारियों का सबब बनने लगा, लेकिन सरकारी रवैया कुछ खानापूर्ति जैसे उपाय करके जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने वाला
तमाम मजदूर संगठनों के भारी विरोध के बावजूद श्रम कानूनों के बदले लागू की गई चार संहिताओं में कई अधिकार सीमित हुए, नियोक्ताओं को सहूलियत हुई, इससे कितना होगा श्रम सुधार
तमिलनाडु में द्रविड़ आंदोलन ने मंचीय कला, सिनेमा, साहित्य को औजार बनाया और राज्य के सामाजिक ताने-बाने में ऐसे बस गया कि उसके अलावा राजनीति का कोई मुहावरा नहीं
हाल के विधानसभा चुनाव में आखिरकार कई दशकों बाद पलायन मुद्दा बना और उनकी दुर्दशा चर्चा में आई लेकिन दुखद यह है कि उसे सिर्फ वोट बटोरने का एक और साधन बना दिया गया