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मैगज़ीन डिटेल

इतिहास की गलियों से वर्तमान तक का सफर

बापू का उपवास उस सदविवेक को जगाने का उपक्रम था, जिसे उन्मादियों ने जहरीला बना दिया था, आज भी कुछ वैसा ही दौर लौटता लगता है

दावोस, देश और बजट

पद्मावत फिल्म का विरोध करने वाले उपद्रवियों को शायद एहसास है कि वे तोड़-फोड़ और हिंसक कृत्यों को अंजाम देने के बाद भी कानून के शिकंजे से बच सकते हैं। यह माहौल प्रधानमंत्री की दावोस पहल को भी कमजोर कर सकता है

कैसे बदले किसान की किस्मत

उत्पादन के बजाय अब आमदनी बढ़ाने पर जोर

क्या सपने देखना छोड़ दे किसान?

खेती में नया करने का उत्साह ही ग्रामीण खुशहाली के रास्ते खोलेगा, बशर्ते सरकारें और निजी क्षेत्र अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी से निभाएं

साठ साल बनाम तीन साल

देश में किसानों और कृषि क्षेत्र के समग्र उन्नयन के जो काम साठ साल में नहीं हुए, वह हमने तीन साल में कर दिखाया

छत पर जैविक खेती की अनूठी छाया

पुष्पा साहू की सफलता के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने कई शहरों में शुरू की है कम्पलीट वेजिटेबल ग्रोइंग किट इन अर्बन एरिया योजना

विदेशी सब्जियों से मोटी कमाई

छोटी जोत में भी जैविक खेती से आसपास के किसानों को दिखाया खुशहाली का रास्ता

पानी की खपत कम, पैदावार अधिक

बुवाई की नई तरकीब से फसलों का उत्पादन बढ़ाने और खर्च घटा कर तैयार किया मुनाफे का गणित

जैविक खाद से निकला मनी मंत्र

दिल्ली में पले-बढ़े करण सीकरी किसानों को समझा रहे हैं जैविक खाद से कमाई के नुस्खे

खेत और बाजार की खाई पाटी

देश के सबसे बड़े अंगूर निर्यातक किसान समूह बनने की कहानी

एक्सेल ने ईजाद की ओडब्ल्यूसी टेक्नोलॉजी

ऑर्गेनिक वेस्ट कनवर्टर तकनीक से कंपोस्ट तैयार करना हुआ आसान

एकजुटता से खुली तरक्की की राह

किसानों की बनाई कंपनी के जरिए मिली आमदनी बढ़ाने में मदद

खेत में उगता है सिंघाड़ा

तालाब या नदी-नालों में नहीं खेत में उगाने की अनोखी विधि ईजाद की

निरोग फसल की बायो पहरेदार

जैविक तरीके से फसल और सब्जियों में रोगों के निदान के लिए बायो कंट्रोल एजेंट की खोज की

दोराहे पर दलित नेता

राज्य के दलितों में बढ़ती बेचैनी से दलित नेताओं में अपनी स्वअतंत्र पहचान बनाने की सुगबुगाहट

खतरे में बेटियों की सुरक्षा

बलात्कार और हत्या के मामले अचानक बढ़े, सरकार सुस्त

न पिच, न प्लेयर, बस बेढब वापसी

बिहार को रणजी ट्रॉफी में भाग लेने की मिली इजाजत, पर ध्वस्त संरचना और संसाधनों के अभाव में कैसे बहुरेंगे क्रिकेट के दिन

ग्लैमर नहीं, अब अदाकारी दिखाओ

हाल के दौर में बेहद आम चेहरे-मोहरे वाली हीरोइन की सफलता ने बदला बॉलीवुड का नजारा, सितारों की पांत में पहुंची नई जमात

पायो रे जब असंतोष धन

हिंदू लोगों को इस भ्रम में मजा आने लगा है कि भारत में वे अल्पसंख्यक हैं

तल्ख होते चुनावी तकाजे

पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में चुनाव के ऐलान के साथ महासंग्राम के मोर्चे कई क्षेत्रों में खुलने लगे

इंसाफ घर में बढ़ी कलह

सुप्रीम कोर्ट के चार जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस से उठे सवालों का अब तक‌ नहीं मिला जवाब, महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई से अब भी अलग रखे जा रहे चारों जज

आधार की उलटबांसी

जब मोदी सरकार सत्ता में आई तो माना गया कि वह भ्रष्टाचार और शिकायतों के निपटारे के लिए एक मजबूत योजना बनाएगी, लेकिन कुछ नहीं हुआ

वर्चुअल करंसी क्रांति या महज बुलबुला?

क्रिप्टोकरंसी बिटकॉइन की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव पर भारतीय बाजार में भी हलचल मगर सरकार गैर-कानूनी लेनदेन पर चौकस

महात्मा का आखिरी संदेश

राष्ट्रपिता ने दिल्ली में अपने आखिरी उपवास से देश के बुनियादी उसूलों की रूपरेखा बताई

एक विद्रोही राजनीतिक साधु की कहानी

किशन जी का व्यक्तित्व-कृतित्व और उनके सामाजिक-राजनीतिक सरोकारों का दायरा इतना विराट है कि उसे डेढ़-दो सौ पन्ने की किताब में नहीं समेटा जा सकता

परिवेश की खुशबू और खतरे

ये कविताएं राजनीति के विस्तृत होते फलक को भी जाहिर करती हैं और यह भी गहरी संवेदना के साथ बताती हैं कि व्यक्ति की निजता में भी राजनीति की दखलंदाजी कैसे बढ़ती जा रही है

आखिरी कलाम की गूंज-अनुगूंज

दूधनाथ सिंह के विदा होने से कुछ और सूनी हो गई साहित्य की दुनिया पर बहुत अरसे तक दिलो-दिमाग में बसी रहेगी उनकी आवाज की अनुगूंज, सालती रहेगी अनुपस्थिति

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