ये कविताएं राजनीति के विस्तृत होते फलक को भी जाहिर करती हैं और यह भी गहरी संवेदना के साथ बताती हैं कि व्यक्ति की निजता में भी राजनीति की दखलंदाजी कैसे बढ़ती जा रही है
पद्मावत फिल्म का विरोध करने वाले उपद्रवियों को शायद एहसास है कि वे तोड़-फोड़ और हिंसक कृत्यों को अंजाम देने के बाद भी कानून के शिकंजे से बच सकते हैं। यह माहौल प्रधानमंत्री की दावोस पहल को भी कमजोर कर सकता है