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मैगज़ीन डिटेल

त्रासदी के सबक पर गौर करें

आपदा प्रबंधन का कोई आदर्श मॉडल नहीं, हर दफे प्रकृति हमें और बेहतर करने की सीख दे जाती है

तेल में फिसलती सरकार

वित्त वर्ष की पहली तिमाही की जीडीपी की विकास दर 8.2 फीसदी रहने के आंकड़े आए हैं। लेकिन इसे राजस्व के आंकड़े सपोर्ट नहीं करते हैं। अगर करते हैं तो सरकार को पेट्रोल और डीजल पर करों को कम करने से परहेज नहीं करना चाहिए

सावधान! आपकी जमा-पूंजी पर तिरछी नजर

न्यू एज बैंकिंग में, आपकी जमा-पूंजी को तरह-तरह के खुले-छुपे फीस से बैंकों ने बनाया मोटी कमाई का जरिया और फर्जीवाड़ा करने वालों की भी हुई चांदी

साइबर ठगी के ये अजीब हब!

झारखंड के ग्रामीण इलाकों में बैठे जालसाज बने चुनौती

मोबाइल बैंकिंग से बढ़ा खतरा

मेलवेयर के जरिए निशाना बना रहे हैकर, अतिरिक्त सावधानी से कम किया जा सकता है साइबर रिस्क

नए सिरे से गढ़ना होगा मॉडल

फिनटेक और ओपन बैंकिंग को मुख्यधारा में लाने का जरिया बनाए बिना नहीं बहुरेंगे पेमेंट बैंक के दिन

कैसा मंजर छोड़ गई बाढ़

प्रकृति से छेड़छाड़ और बिना सोची-समझी योजनाओं ने 'ईश्वर के अपने देश' को तबाह किया

“केंद्र सरकार से पर्याप्त मदद का अभी इंतजार”

आपदा के समय किसी देश से मदद लेने में बुराई क्या है। मुझे समझ में नहीं आता कि केंद्र सरकार इसे लेने से क्यों मना कर रही है?

लालच की अर्थव्यवस्था का नतीजा

केरल की प्राकृतिक, मानवीय और सामाजिक स्थितियों को ध्यान में रखकर संतुलित विकास ‍हो

यह तो संघीय सहकारिता नहीं

आपदा राशि पर विवाद से बचने के लिए नीति आयोग को संवैधानिक दर्जा दे केंद्र सरकार से मुक्त किया जाए

फिर प्रकृति दे गई चेतावनी

अतिक्रमण ने बढ़ाई परेशानी, खतरों की जद में रहने को मजबूर लोग

चुनावी जंग में आदिवासी रंग

आदिवासी शक्ति संगठन पिछले दो साल से तेजी से सक्रिय, मौजूदा राजनीतिक हालात में छोटे दल बिगाड़ सकते हैं बड़े दलों का खेल

ऐलान खूब, नतीजा सिफर

फंड और महकमों में आपसी समन्वय की कमी से पूरी तरह सिरे नहीं चढ़ पा रहीं गोवंश से जुड़ी योजनाएं

कितनी दमदार दावेदारी

भाजपा गौरव यात्रा निकाल रही, तो कांग्रेस के नेता संकल्प यात्रा के जरिए सरकार पर निशाना साध रहे मगर कलह दोनों ओर बराबर

माटी के लाल कर गए सुनहरा कमाल

18वें एशियन गेम्स में पदकों के लिहाज से बनाया इतिहास, लेकिन अधिकांश विजेताओं का खेत-खलिहान और ग्रामीण पृष्ठभूमि से ताल्लुक

मेडल बरसेंगे पर कोशिश तो हो

जरूरत है खेल को राष्ट्र-निर्माण और राष्ट्र-गौरव के प्रतीक के रूप में स्वीकार करके कदम बढ़ाने की

रेडीमेड शिक्षा प्रणाली के फायदे

कॉलेज में नौजवान क्या सीखते हैं यह विवाद का विषय है, यह भी खोजना बहुत मुश्किल है कि इस दौर में उनकी उम्र के अलावा क्या बढ़ता है

पुणे महाभारत का मैदान

सनातन संस्था पर प्रतिबंध की मांग जोर पकड़ी तो देशभर में पुणे पुलिस की कार्रवाई से उठे सवाल

यूएपीए कानून की उलटबांसी

इस कानून के अमल पर संजीदगी बरतने के लगातार अदालती आदेशों के बावजूद सरकार पर कोई फर्क नहीं

सरकारी नीतियों की नाकामी से अर्थव्यवस्था हुई चौपट

नोटबंदी ने आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक अस्थिरता को बढ़ाया, शुरू में फेल होने का इल्म हुआ तो कैशलेस इकोनॉमी के लिए सरकार ने बनाया दबाव, असंगठित क्षेत्र को उबारे बिना संकट का नहीं निकलेगा समाधान

“ध्रुवीकरण की धमक तेज”

हिंदुत्व और हिंदू धर्म की जातिगत अस्मिताओं में तनाव और आर्थिक मोर्चा बड़ी चुनौती है। विपक्ष को इन्हीं मुद्दों को उठाना चाहिए

कविता में फकीराना अंदाज

किसी कवि के समस्त संग्रहों को एक साथ पढ़ने से ही उसके संपूर्ण काव्य व्यक्तित्व का पता चलता है

हिंदी और उसका सत्ता विमर्श

हिंदी के नाम पर एक पूरा उद्योग स्थापित हो गया है जिस पर करदाता का अरबों रुपया खर्च किया जाता है, फिर भी हिंदी अभी तक मुख्यतः साहित्य, पत्रकारिता और अनुवाद की भाषा ही बनी हुई है

विदेश में पिकनिक बंद हो

हिंदी भी हैसियत और ताकत की भाषा के रूप में विकसित हो तभी उसकी पूछ बढ़ेगी

स्त्री विमर्श के चार अध्याय

फिल्मों से लेकर साहित्य तक परिवार से लेकर समाज तक स्त्रियों के लिए बदलाव का हर दौर अलग था

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