हिंदी के नाम पर एक पूरा उद्योग स्थापित हो गया है जिस पर करदाता का अरबों रुपया खर्च किया जाता है, फिर भी हिंदी अभी तक मुख्यतः साहित्य, पत्रकारिता और अनुवाद की भाषा ही बनी हुई है
वित्त वर्ष की पहली तिमाही की जीडीपी की विकास दर 8.2 फीसदी रहने के आंकड़े आए हैं। लेकिन इसे राजस्व के आंकड़े सपोर्ट नहीं करते हैं। अगर करते हैं तो सरकार को पेट्रोल और डीजल पर करों को कम करने से परहेज नहीं करना चाहिए
नोटबंदी ने आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक अस्थिरता को बढ़ाया, शुरू में फेल होने का इल्म हुआ तो कैशलेस इकोनॉमी के लिए सरकार ने बनाया दबाव, असंगठित क्षेत्र को उबारे बिना संकट का नहीं निकलेगा समाधान