तमाम अड़चनों और वित्तीय बाधाओं से बाहर निकालने के उपायों से हाइवे और एक्सप्रेसवे निर्माण में गजब की रफ्तार, पर सावधानी की फिर भी दरकार और कई सवाल भी सामने
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा दोनों के लिए आर्थिक मुद्दों और रोजगार के संकट को हल करने की चुनौती कहीं अधिक है। हो सकता है कि कुछ राजनैतिक मुद्दों पर उनको मजबूती मिले लेकिन आर्थिक मुद्दे जैसे जोर पकड़ते जा रहे हैं, उनसे पिंड छुड़ाना आसान नहीं होगा
नए नेशनल हाइवे और एक्सप्रेसवे का निर्माण जितना मुश्किल है इसके संचालन और रख-रखाव की चुनौतियां भी कम नहीं, नई तकनीक के बूते उभर रहा है यह भरा-पूरा क्षेत्र
अगर किसी प्रोजेक्ट में विवाद है तो उसे सुलझाना ज्यादा जरूरी है, न कि मुकदमेबाजी में उलझना। कोर्ट में जाने से जहां समय बरबाद होता है, वहीं लागत बढ़ती है
रोहिंग्या संकट की जड़ें बंटवारे के दौर के अभिशप्त इतिहास में, हिंसा के घने बादलों से असली हल की संभावनाएं क्षीण, हताशा, नाराजगी कई गुना बढ़ी जिससे कट्टरता और उग्रवाद को बढ़ावा मिला
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के लिए नक्सली और आतंकी ऑपरेशनों को लेकर अभी तक कोई योजना नहीं बनी है, सुरक्षा के मानक तय न होने से सैकड़ों सैनिक-अफसर गंवाते हैं जान