सरकारों के पल्ला झाड़ने और निजीकरण को तरजीह देने से हेल्थलकेयर इंडस्ट्री और मेडिकल टूरिज्म में तब्दील होती चिकित्सा व्यवस्थाझ आम आदमी को करने लगी बेहाल
सत्ता के लिए धर्म, गुजराती अस्मिता और अंततः पाकिस्तान जैसे प्रचार के औजार बने, उससे चुनाव का एक नया गुजरात मॉडल उभरा है, जिसका खतरनाक अक्स अगले राज्य विधानसभाओं और लोकसभा चुनाव में भी दिख सकता है
निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की भागीदारी वाली कई परियोजनाएं अधर में, गरीबों से पैसा वसूलने के आरोप में कुछ के अनुबंध रद्द
राजस्थान सरकार की प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों को पीपीपी के तहत निजी हाथों में सौंपने की तैयारी
कॉरपोरेट अस्पतालों से मिली निराशा, सरकारी में सुविधाओं का अभाव
राज्य में पहली बार देखा जा रहा है त्रिकोणीय मुकाबला, भाजपा-अकाली के अलावा आप भी मैदान में
टॉपर घोटाले के दाग धोने की हड़बड़ी में बच्चों के भविष्य के साथ खेल रहा है बीएसईबी
धीरे-धीरे बंद हो रहे जोर-शोर से शुरू किए गए आनंदम केंद्र, सालगिरह के जश्न की तैयारी में डूबी सरकार
कोहली ने उठाई भारतीय क्रिकेटरों के थकान की बात, लेकिन बीसीसीआइ का नहीं है इस ओर ध्यान
सनी लियोनी बॉलीवुड में धूमकेतु की तरह आईं और वैसे ही धूमिल हो रहीं
कई संगीतप्रेमी लच्छीवराम का नाम नहीं जानते, उनकी पहली फिल्मक आरसी ने सिल्वीर जुबली मनाई थी
अपमान, पाकिस्तान, ‘राष्ट्रवाद’, नरम हिंदुत्व से विकास के सवाल गए पीछे, गुजरात मॉडल चर्चा से दूर, इसके दूरगामी नतीजे तय
आम चुनावों में वामपंथी गठबंधन की जीत के बाद बराबरी और पारस्परिक सम्मान के आधार पर द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने की जरूरत
जश्ने-रेख्ता केवल उर्दू भाषा के प्रचार-प्रसार का ही उत्सव नहीं है बल्किव यह उर्दू शायरों को समझने और सामाजिक समरसता का त्योहार है
कांग्रेस से तो लड़ाई है मगर अजीत जोगी की पार्टी के अस्तित्व को नकारा नहीं जा सकता। जोगी ने बतौर मुख्यमंत्री कई काम किए थे। उनका अपना वोट आधार है
हर राज्य के लिए उसकी जरूरतों और दिक्कतों के हिसाब से नीति बनाकर क्षेत्रीय असमानता को कम करना होगा
बाबा साहब की राजनीतिक-वैचारिक विरासत से तात्कालिक तत्व अलग कर सार्वकालिक तत्व अपनाने होंगे
गरीबों को आवास मुहैया कराने के घोषित लक्ष्यर वाली योजना ब्याज पर सब्सिडी की नई शर्तें मध्यम वर्ग, बिल्डरों और देसी-विदेशी बड़े निवेशकर्ताओं के हक में
आरएसएस का अयोध्याे में सिर्फ मंदिर बनने की बात कहना अचानक नहीं है, आखिर वह 1992 से ही ‘हिंदू भारत’ की तैयारी में जो लगा हुआ है
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ लंबे समय से पूरे भारत में आतंकी हमले की बाट जोह रही थी, बाबरी मस्जिद के गिरने से उसे यह मौका सरलता से उपलब्ध हो गया