सत्ता के लिए धर्म, गुजराती अस्मिता और अंततः पाकिस्तान जैसे प्रचार के औजार बने, उससे चुनाव का एक नया गुजरात मॉडल उभरा है, जिसका खतरनाक अक्स अगले राज्य विधानसभाओं और लोकसभा चुनाव में भी दिख सकता है
सरकारों के पल्ला झाड़ने और निजीकरण को तरजीह देने से हेल्थलकेयर इंडस्ट्री और मेडिकल टूरिज्म में तब्दील होती चिकित्सा व्यवस्थाझ आम आदमी को करने लगी बेहाल