केंद्र और अधिकांश राज्यों में सरकार वाली भाजपा के सामने सत्ता विरोधी लहर से उबरने की चुनौती है तो विपक्षी दल नए सियासी गठजोड़ की नई संभावनाएं टटोल रहे हैं
‘विकास’ के ‘अच्छे दिन’ घोटालों के करोड़ों से खरबों में पहुंचने के दिनों में बदल रहे हैं, क्षमता के अनुकूल रोजगार के वादे पकौड़ापरक रोजगार में बदल रहे हैं, और मध्यवर्ग बेचारा बना ‘विकास’ की मार झेल रहा है
नौकरियों का संकट बढ़ा तो एजुकेशन लोन बनाने लगा छात्रों को डिफॉल्टर, तीन साल में 51 फीसदी तक बढ़ गया एनपीए, अभिभावक और छात्र करने लगे कर्ज लेने से तौबा, लिहाजा देश के युवाओं को उच्च शिक्षा के प्रति आकर्षित करके बेहतर जिंदगी का सपना दिखाने के लिए धूम-धड़ाके से प्रचारित योजना सरकारी अदूरदर्शिता और कामचलाऊ रवैए की भेंट चढ़ गई