दुनिया के अन्य हिस्सों से प्राचीन भारत में सामाजिक और राजनैतिक हिंसा कम नहीं थी मगर इतिहास की चुनिंदा व्याख्या नहीं होनी चाहिए, उसे लोकतंत्र, आजादी, बराबरी के सिद्धांत पर आधारित होना चाहिए
हमारे राजनैतिक दल अक्सर जनता से मिलने वाले सबक को भूल जाते हैं। हमें याद रखना चाहिए कि जब लोग आर्थिक संकट से जूझ रहे हों तो उनकी भावनाओं का राजनैतिक दोहन आसान नहीं होता है
लगातार चुनावों के मद्देनजर एनडीए सरकार को अपने आखिरी पूर्ण बजट में लोकलुभावन उपायों पर जोर देना होगा मगर मौजूदा वित्तीय हालत उसे बड़े सरकारी खर्च की मोहलत शायद ही दे
भविष्य को पढ़ना आसान नहीं लेकिन मशहूर निवेशक राकेश झुनझुनवाला इस कला में माहिर हैं। भारत के भविष्य को भांप चुके इस शख्स के जीवन-लम्हों और निवेश के दांवपेंच पर मालिनी भूप्ता की नजर