इंटरनेट, स्मार्टफोन, वेब सीरीज, ऐप, ओटीटी प्लेटफॉर्म के दौर में अश्लील वीडियो, फिल्मों, नग्न तस्वीरों का बाजार बेहिसाब बढ़ा, लॉकडाउन में सस्ते मनोरंजन, मजबूरी के दोहन और कमाई का जरिया बना
एनपीए बढ़ा, बैंकों को गहराते संकट से उबारने के उपाय ऊंट के मुंह में जीरे के सामान, गलतियों से सबक सीखने के प्रति लापरवाही, दिवालिया संहिता से सवालिया घेरे में बैंक, याराना पूंजीवाद और भगोड़ों पर कोई खास अंकुश नहीं
विधानसभा चुनावों के नतीजों और कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण पिछले सात साल में शायद पहली बार भाजपा और उसका केंद्रीय नेतृत्व बैकफुट पर, मगर क्या विपक्ष मुकाबले की एकजुट ताकत दिखा पाएगा