एलएचबी नामक नया डिजाइन कोच 1996 से ही उपलब्ध है लेकिन बजटीय सीमाओं के कारण इसका उत्पादन बहुत कम हो पाता है। दूसरी ओर कैरिज एवं वैगन मेन्टेंनेंस में प्रशिक्षित स्टाफ की भी कमी से भी होती हैं दुर्घटनाएं
आउटलुक हिंदी ने पिछले दिनों दिल्ली में 'लाल गलियारे में विकास’ विषय पर संवाद का आयोजन किया जिसे केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्री, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने संबोधित किया। यहां हम अतिथि वक्ताओं के विचार प्रकाशित कर रहे हैं।
नमस्कार, आलोक जी सबसे पहले तो आपका आभार कि आपने इस आयोजन में मुझे आमंत्रित किया। संदर्भ आज वैसे लोगों का होगा जो इस क्षेत्र में काम कर चुके हैं। हम तो प्रभावित क्षेत्र में अब आ गए हैं।
नक्सली इलाकों में विकास गंभीर विषय है। क्रान्ति के नाम पर सत्ता हथियाने के लिए चीन में शुरू हुआ माओवाद वहां लुप्त हो चुका है। आज अमेरिकन कंपनी चीन में एप्पल मोबाइल फोन और हनीवेल लिफ्ट बना रही है। नेपाल में माओवाद ने एक निर्णायक दौर पर आकर दिशा बदल ली और वे सत्ता में शामिल हो गए। आज दुनिया में अगर अलगाववादी ताकतों को देखें तो आइरिश रिपबल्किन आर्मी ने भी अपने काडर को मुख्यधारा में जोड़ दिया है। हाल ही में कोलंबिया में वहां के सशस्त्र बलों ने घुटने टेक दिए हैं और युद्ध विराम कर दिया है।
दिल्ली की राजनीति अंग्रेजी समाचार पत्र तय करते हैं, लेकिन देश की राजनीति हिंदी और स्थानीय भाषाओं के समाचार पत्र और पत्रिकाएं तय करती हैं। आजादी के 70 साल हो गए हैं और अब आम आदमी जानता है कि वह अपने वोट की ताकत से किसी भी सरकार को बदल सकता है।
जिस क्षेत्र को हम लाल गलियारे के रूप में जानते हैं आज वहां विकास की कहानी लिखी जा रही है। झारखंड के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिलों में जिस तरह से विकास हुआ है इससे यह कहा जा सकता है कि यहां के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह विकास के क्षेत्र में पोस्ट ग्रेजुएट करने के बाद पीएचडी करने की तैयारी कर रहे हैं।
न क्सलवाद की समस्या एक दिन में पैदा नहीं हुई। शुरुआत में इस समस्या के प्रति न तो गंभीरता दिखाई गई और न ही इसके समाधान के लिए काम हुआ। इसे विधि व्यवस्था की समस्या के साथ राज्य का विषय माना गया।
बंदूक की नोक पर टॉप नक्सली नेता करोड़पति बन गए हैं। नक्सली संगठनों के पास भी अथाह काला धन है। लाल गलियारे में यह आम जनजाति लोगों के हकों के लिए दशकों से संघर्ष कर रहे हैं। मगर यह आदिवासी शिक्षा तो दूर, दर्दनाक गरीबी और राज्य के दूसरे हिस्सों से कटे होने के कारण अज्ञानता में जी रहे हैं। लेकिन उनके 'संरक्षक’ माओवादी संगठन हर प्रकार से सक्षम है, चाहे रुपया-पैसा हो या उनके परिवार के बच्चों का जंगलों से दूर अच्छी शिक्षा ग्रहण करने और नौकरी की व्यवस्था हो या अच्छे व्यापारों में निवेश।
आयकर से मुक्ति वेतनभोगी वर्ग का सपना है, व्यापक कर सुधारों के बाद इनकम टैक्स पूरी तरह भले खत्म न हो, मगर उसमें कमी की आस तो है देश से कालाधन उन्मूलन और आयकर सहित 50 से अधिक तरह के टैक्स खत्म करने के लिए अर्थशास्त्रियों के सुझाव यूएई, ओमान, बहरीन जैसे कई पश्चिम एशियाई देशों में कर अदायगी के बगैर निर्बाध चल रही है अर्थव्यवस्था अर्थक्रांति का सुझाव है कि बैंकिंग लेनदेन पर कर लगाया जाए तो बचत भी बढ़ेगी और टैक्स चोरी की गुंजाइश भी नहीं बचेगी
सुबह नई आशा का प्रतीक है, वहीं शाम को उदासी से जोड़ कर देखने की परंपरा है। हिंदी फिल्मों में भी यह भाव नजर आता है। खामोशी (1969) का हेमंत कुमार द्वारा संगीतबद्ध, गुलजार द्वारा लिखित और किशोर कुमार के गाए 'वो शाम कुछ अजीब थी ये शाम भी अजीब है’, हल्की कहरवा ताल के साथ यमन कल्याण की अनुभूति के बीच गहराती उदासी का अहसास कराता है।
जैसे सरकार ने काला धन निकालने के लिए विमुद्रीकरण किया, हमने भी घर में, कालाधन निकालने के लिए नोटबंदी कर दी है। अब नगद में घर खर्च बंद, बच्चों का हाथ खर्च बंद। गृहिणियां और बच्चे ही कालाधन एकत्रित करते हैं और देश तथा परिवार की अर्थव्यवस्था चौपट करते हैं। कर्ज माफ कर दिवालिया हुए बैंकों और सरकार को इससे थोड़ा सुकून तो मिलेगा ही।
जामिया के हिंदी विभाग और हिंदी अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी साहित्य सृजन में स्त्रियों की भूमिका विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। साहित्य में स्त्रियों की भूमिका पर कई वक्ताओं ने शिरकत की। कार्यक्रम के पहले दिन की मुख्य अतिथि हिंदी अकादमी की अध्यक्ष वरिष्ठ कथाकार मैत्रेयी पुष्पा थीं।
इरादे नेक हो सकते हैं। लक्ष्य भी निश्चित रूप से सही हैं। काले धन, भ्रष्टाचार और सीमा पार से नकली नोट की घुसपैठ एवं आतंकवादियों की गतिविधियों के विरुद्ध संपूर्ण भारत एकमत है।
स्त्री उत्पीडऩ, कामुकता हिंसाचार और मीडिया विषय पर पुस्तक प्रकाशित। आचार्य गिरीश चंद्र बोस कॉलेज में अध्यापनरत हैं। नई कहानियों से पाठकों का ध्यान खींच रही हैं।