दीपावली के पावन पर्व की धूमधाम है। अब तो दशहरे से दीवाली के बाद तक पूजा-पाठ, उत्सव चलते हैं। गणेश, लक्ष्मी, विष्णु, सरस्वती, दूर्गा की आराधना के अलग-अलग रंग-रूप विभिन्न क्षेत्रों में दिखते हैं। लेकिन श्रीगणेश की महत्ता सर्वोपरि है।
देश के कोने-कोने में ऐसे पर्यटनस्थल उपलब्ध हैं जो न सिर्फ देखने में खूबसूरत हैं बल्कि दुनिया के कई पयर्टन स्थलों से भी बेहतर हैं, बस जरूरत है तो उस जगह को तलाश करने की
इन दिनों पता नहीं क्यों लोग अंग-वस्त्रों को देखकर वैसे ही भड़कने लगे हैं जैसे लाल वस्त्र देखकर सांड भड़क जाया करते हैं। अभी तक क्या खाएं क्या पिएं और क्या कहें पर शुद्धतावादियों की वक्रदृष्टि थी, अब क्या पहनें पर भी उनकी कुदृष्टि पड़ने लगी है। हमारे महानायक अमिताभ जी को भी अपनी नातिन एवं पोती को पत्र लिखकर बताना पड़ा कि तुम्हारे स्कर्ट के एक इंच छोटे होने पर उंगलियां उठेंगी। तुम उन पर कतई ध्यान न देना और अपनी मर्जी से रहना। फिल्म-स्टारों की यह विडंबना है कि वे अपनी बात खुलकर नहीं कह सकते क्या पता कौन उनकी फिल्म पर अघोषित ‘बैन’ लगा दे।
केंद्रीय विद्युत, कोयला, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा तथा खान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पीयूष गोयल गैर भाजपाशासित राज्यों के निशाने पर रहते हैं। राज्यों में जब भी बिजली की कमी होती है केंद्र को जिम्मेदार ठहराया जाता है। गुजरात के बडोदरा में स्वीच 2016 सम्मेलन के दौरान राज्यों और संघशासित प्रदेशों के बिजली, खनन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रियों की भी बैठक हुई। इस दौरान पीयूष गोयल से आउटलुक के विशेष संवाददाता ने विस्तार से बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश:-