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मैगज़ीन डिटेल

जिनके आंसुओं पर मुस्करा न सके

न गीता दत्त की मादकता, न आशा का नशीलापन, मुबारक बेगम की आवाज में गजब की विविधता थी

अभिव्यक्ति की पाचन शक्ति

दुनिया में जहां भी लोकतंत्र की चर्चा होती है वहां सबसे पहले अभिव्यक्ति की आजादी का सवाल उठता है। दरअसल, यह आजादी ही लोकतंत्र की असली कसौटी मानी जाती है। भारत का संविधान भी अपने सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के यह आजादी देता है। इसके बावजूद पिछले कुछ समय से, खासकर केंद्र की सत्ता में नई सरकार के आने के बाद, लगातार ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या नागरिकों को उनकी बात कहने से रोका जा रहा है? क्या मीडिया को निष्पक्ष रूप से काम करने में बाधा पहुंचाई जा रही है? क्या साहित्यकारों को वह माहौल नहीं मिल रहा है कि वह निर्भय होकर मनमाफिक कलम चला सकें? क्या नागरिकों को उनकी मर्जी के अनुसार जीवन जीने में बाधा पहुंचाई जा रही है? आज जब हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का 70वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे हैं तो इन सवालों का जवाब तलाशना जरूरी हो जाता है। आउटलुक के इस अंक में हम इन्हीं सवालों पर विभिन्न क्षेत्रों के कुछ शीर्ष लोगों की राय प्रकाशित कर रहे हैं।

असहमति के अधिकार की केंद्रीयता

हमारी आजादी पर अंकुश लगाने वाली उपनिवेश काल की दंड संहिताओं पर लगातार विवाद उठाना जरूरी

मीडिया को है अभिव्यक्ति की आजादी

सुप्रीम कोर्ट ने समय-समय पर सुनिश्चित किया है कि मीडिया को किसी तरह के दबाव का सामना न करना पड़े

सोशल मीडिया पर कैसी स्वतंत्रता

आज आम लोगों की स्वतंत्रता खतरे में है और सत्ता के गलियारे से कोई सूचना निकल नहीं सकती

दुराग्रह-असहमति के बीच अभिव्यक्ति

शहीदों के सपनों का भारत बनने में भी अभी कसर है, तब धर्म पर लड़ाई इस सपने को पीछे धकेलेगी

बोलने की आजादी और सब की खुशी

धर्म, राजनीति और साहित्य पर मतभेद होना ही है इसी में अभिव्यक्ति का रास्ता हमें निकालना होगा

अहम है अभिव्यक्ति की आजादी

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार असंतोष की अभिव्यक्ति की भी अनुमति देता है

सिकुड़ रहा है भारतीय अंत:करण

अभिव्यक्ति के कई स्तर हैं-सभी का अपना महत्व है, हर स्तर पर आजादी से निर्मित होगा सच्चा लोकतंत्र

फासीवाद का दौर चल रहा है

अभिव्यक्ति की आजादी को रोकने के लिए जितने भी तरीके हो सकते हैं उसे आजमा रही है सरकार

देश में तानाशाही नहीं चल सकती

आलोचना तो पहले भी होती थी लेकिन असहमत होने पर कोई किसी को देशद्रोही नहीं बोलता था

बिहार में शराबबंदी पर फिर गरमाई सियासत

कानून का उल्लंघन करने पर कड़ी सजा के प्रावधान से विपक्ष और समाज के एक तबके की तनी भृकुटि

निजी जागीर बन रहा भोपाल का महावीर मेडिकल कॉलेज?

जमीन आवंटित कराने के लिए हिसाब-किताब में फर्जीवाड़े का आरोप, कई अफसरों-नेताओं पर आंच

कोसी की अंतहीन त्रासदी

बिहार में बाढ़ से सैकड़ों गांव बने टापू, फंसे लोगों को मदद की जगह मिल रहा है सिर्फ आश्वासन

भाजपा में सुलगने लगी आंच

नौकरशाहों के बेलगाम तेवरों से मंत्री से लेकर विधायक सभी नाराज

कमल के गढ़ में कमाल की कोशिशें

सोनिया गांधी के वाराणसी दौरे से कांग्रेस जैसे शीत निद्रा से जाग उठी है, कांग्रेस के वरिष्ठ राजनेता और रणनीतिकार एक बार फिर एक्शन मूड में

गाय के बहाने दलित राजनीति

गो रक्षा के नाम पर दलितों पर ढाया जा रहा जुल्म, गुजरात सहित कई राज्यों में लगातार बढ़ रही घटनाओं से सियासत हुई गरम

राजस्थान में गायों की मौत बनी सियासी मुद्दा

राज्य में तीन मंत्रियों पर है गायों को बचाने का जिम्मा, फिर भी हर रोज हो रही हैं मौतें

‘फ्रेंचाइजी’ देकर आतंकी साजिश

आतंकी संगठनों के लिए काम कर रहे मॉड्यूल्स अब आईएसआईएस का चोला ओढ़ने लगे हैं, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को मिले अहम सुराग

दूसरी पारी में कितने गंभीर प्रचंड

नया संविधान लागू करना और देश को विकास की राह पर लाना नेपाल के प्रधानमंत्री के लिए बड़ी चुनौती

‘लद गए नक्सलियों की समानांतर सत्ता के दिन’

भारतीय जनता पार्टी में किसी राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में सबसे लंबी पारी खेलने वाले नेता बन गए हैं डॉ. रमन सिंह। छत्तीसगढ़ में वर्ष 2018 में चुनाव होने हैं। वे ‘मिशन 2018’ को गंभीरता से ले रहे हैं। मात्र 40 दिनों के अंतराल में सत्ता और संगठन के चिंतन, मंथन और केंद्र व राज्य के संगठन और सत्ता के साथ लगातार रायशुमारी यह बता रही है कि चौथी पारी के लिए भाजपा को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। जाहिर है, चुनाव को अभी ढाई साल बाकी हैं और छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी अभी से चुनाव मोड में दिख रही है। राज्य में विपक्ष की गतिविधियां और सरकार के कामकाज को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से बातचीत के प्रमुख अंश-

ये तेरा घर, ये मेरा घर, ये घर सभी का हो

हम ऐसे स्वराज की स्थापना के लिए प्रयत्नरत रहें, जहां गरीब भारतीय को भी यह महसूस हो कि यह देश उसका है

पाकिस्तान को सही संदेश

दक्षेस देशों के गृह मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए भारतीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह का पाकिस्तान दौरा चर्चा में है और इस दौरे को लेकर कई तरह की बातें कही जा रही हैं।

जीएसटी से पिछड़े राज्यों को होगा फायदा

अलग-अलग कर दरों से बनी दुविधा जीएसटी से दूर हो जाएगी

हाशिये पर खड़े नायकों की आवाज

अपनी कहानी नहीं सुना पाईं उपेक्षितों की जिजीविषा बयां करने वाली महाश्वेता

उन्होंने घर नहीं घराना बनाया

हैदर रजा की लोकप्रियता मीडिया से नहीं वरन आत्मीयता से उपजी

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